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बैंकों क्रेडिट में भारी उछाल कर्ज 117 लाख करोड़ जमा पूंजी 162 लाख करोड़ पर पहुंचा

Teja
15 Jan 2022 8:28 AM GMT
बैंकों क्रेडिट में भारी उछाल कर्ज 117 लाख करोड़ जमा पूंजी 162 लाख करोड़ पर पहुंचा
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बैंक कर्ज 31 दिसंबर, 2021 को समाप्त पखवाड़े में 9.16 फीसदी बढ़कर 116.83 लाख करोड़ रुपए तथा जमा राशि 10.28 फीसदी की वृद्धि के साथ 162.41 लाख करोड़ रुपए पहुंच गई.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | कोरोना काल में बैंकों के क्रेडिट (Bank credit) में भारी उछाल आया है. क्रेडिट के साथ-साथ जमा पूंजी यानी डिपॉजिट में भी तेजी दर्ज की गई है. बैंक कर्ज 31 दिसंबर, 2021 को समाप्त पखवाड़े में 9.16 फीसदी बढ़कर 116.83 लाख करोड़ रुपए तथा जमा राशि 10.28 फीसदी की वृद्धि के साथ 162.41 लाख करोड़ रुपए पहुंच गई. भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसूचित बैंक के कर्ज और जमा के बारे में शुक्रवार को जारी किए गए 31 दिसंबर, 2021 को समाप्त पखवाड़े के आंकड़े से यह यह पता चला. एक जनवरी, 2021 को समाप्त पखवाड़े में, बैंक लोन 107.02 लाख करोड़ रुपए और जमा 147.26 लाख करोड़ रुपए था. इससे पहले, 17 दिसंबर, 2021 को समाप्त पखवाड़े में, बैंक अग्रिमों में 7.27 फीसदी और जमा में 9.58 फीसदी की वृद्धि हुई थी. वित्त वर्ष 2020-21 में, बैंक लोन में 5.56 फीसदी और जमा में 11.4 फीसदी की वृद्धि हुई थी.

पिछले कुछ सालों में बैंकिंग सेक्टर की बात करें तो वसूली कम हुई है, हालांकि राइट ऑफ में उछाल आया है. बैंक जब अपने ग्राहकों से कर्ज की वसूली नहीं कर पाते हैं तो वह राशि नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स यानी एनपीए में चली जाती है. जब बैंकों का एनपीए काफी अधिक हो जाता है तो वे एनपीए की इस राशि को बट्टे खाते में डाल देते हैं, अर्थात राइट ऑफ कर देते हैं. बैंकों के इस राइट ऑफ पर आरबीआई की एक रिपोर्ट सामने आई है, जो चौंकाने वाली है.
9.54 लाख करोड़ रुपए बैड लोन राइट-ऑफ किया गया
इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कमर्शियल बैंकों ने पिछले पांच वर्षों में 9.54 लाख करोड़ रुपए का बैड लोन बट्टे खाते में डाला है. सरकारी बैंक फंसे कर्ज को बट्टे खाते में डालने में सबसे आगे रहे हैं. 9.54 लाख करोड़ में से 7 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि सरकारी बैंकों द्वारा बट्टे खाते में डाली गई है.
केवल 4.14 लाख करोड़ रुपए की वसूली
बैंकों द्वारा बट्टे खाते में डाली गई यह राशि इस अवधि में उनके द्वारा वसूली गई राशि की तुलना में दोगुनी से अधिक है. आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में लोक अदालतों, डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल्स और आईबीसी आदि माध्यमों से बैंकों द्वारा वसूली गई राशि 4.14 लाख करोड़ रुपए ही थी. राइट ऑफ एक बड़ा कारण है जिसकी वजह से बैंकों का एनपीए कम आता है.
राइट-ऑफ में उछाले के कारण ग्रॉस NPA घट रहा है
मार्च 2018 में बैंकों का ग्रॉस एनपीए 11.8 फीसद था, जो मार्च 2021 में 7.3 फीसद पर आ गया. आरबीआई का कहना है कि यह आंकड़ा सितंबर 2021 तक 6.9 फीसद तक आ सकता है, जो 5 वर्षों में सबसे कम होगा. पिछले 5 वर्षों में बैंकों द्वारा बट्टे खाते में डाली गई रकम 31 मार्च 2021 को उनके कुल एसेट्स के 5 फीसद से कम थी.
कागजों पर बैलेंसशीट में हो रहा है सुधार
इधर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ राजकिरण राय ने पिछले दिनों कहा था कि कंसोलिडेशन के कारण कागजों पर बैंकों की वित्तीय स्थिति कोरोना पूर्व काल से बेहतर हुई है. टाइम्स ऑफ इंडिया से खास बातचीत में उन्होंने कहा था कि 2021 में बैंकों के बैलेंसशीट में सुधार हुआ है. कोरोना की दूसरी लहर के कारण अप्रैल और मई के महीने में परेशानी बढ़ी थी. बात चाहे असेट क्वॉलिटी की हो, स्ट्रेस की हो या फिर कलेक्शन की, बैंक वर्तमान में बेहतर पोजिशन में हैं.
सरकारी बैंकों का कंसोलिडेशन हो रहा है
सरकारी बैंकों को लेकर उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों से पब्लिक सेक्टर बैंकों का कंसोलिडेशन हो रहा है. बैलेंसशीट में सुधार हो रहा, बैड लोन के मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है, प्रोविजनिंग महत्वपूर्ण है और समय-समय पर कैपिटल रेजिंग भी जारी है. इसके अलावा बैंकों का एकीकरण भी जारी है. मेरा मानना है कि वित्त वर्ष 2021-22 के अंत तक हम इंडस्ट्री के साथ-साथ ग्रो करेंगे. अगले वित्त वर्ष में हम इंडस्ट्री के मुकाबले तेजी से विकास करेंगे


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