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Pension का कैसे होगा कैलकुलेशन, कर्मचारी कितना करेंगे कंट्रीब्यूट?

Suvarn Bariha
25 Aug 2024 12:14 PM GMT
Pension  का कैसे होगा कैलकुलेशन, कर्मचारी कितना करेंगे कंट्रीब्यूट?
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Business.व्यवसाय: केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) लाई है। इससे लाखों सरकारी कर्मचारी लाभान्वित होंगे। दरअसल, सरकारी कर्मचारी नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में कम फंड और रिटर्न मिलने से नाराज थे। वे लगातार ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को बहाल करने की मांग कर रहे थे। उनकी नाराजगी को दूर करने के लिए सरकार ने UPS का एलान किया है। आइए समझते हैं कि दोनों पेंशन सिस्टम में पेंशन का
कैलकुलेशन
कैसे होता है और इनमें मुख्य अंतर क्या है।
OPS-UPS में पेंशन कैलकुलेट कैसे होती है?
ओपीएस और यूपीएस, दोनों में ही सरकारी कर्मचारियों को निश्चित पेंशन मिलती है। लेकिन, पेंशन कैलकुलेट करने का तरीका अलग है। ओपीएस में निश्चित पेंशन अंतिम प्राप्त मूल वेतन + महंगाई भत्ता (डीए) के 50 फीसदी पर तय की गई थी। लेकिन, यूपीएस में निश्चित पेंशन सेवानिवृत्ति से पहले पिछले 12 महीनों में प्राप्त औसत मूल वेतन + डीए होगी। इसका मतलब कि अगर कोई कर्मचारी अपने कार्यकाल के आखिरी महीनों में प्रमोशन पाता है और उसकी सैलरी बढ़ जाती है, तो उसे अपने अंतिम वेतन का पूरा 50 फीसदी पेंशन के तौर पर नहीं मिलेगा। उसे कुछ कम रकम मिलेगी, क्योंकि पेंशन की गणना औसत 12 महीने की बेसिक सैलरी के हिसाब से होगी।
कर्मचारी को कितना कंट्रीब्यूट करना होगा?
यूनिफाइड पेंशन स्कीम में भी कर्मचारियों को नेशनल पेंशन सिस्टम की तरह अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10 फीसदी यूपीएस में कंट्रीब्यूट करना होगा। हालांकि, नई योजना में सरकार कंट्रीब्यूशन बढ़ जाएगा। वह एनपीएस में 14 फीसदी योगदान देती है, लेकिन यूपीएस में 18.5 फीसदी देगी। हालांकि, ओपीएस में कर्मचारियों को कोई कंट्रीब्यूशन नहीं देना होता था। यही वजह थी कि उससे सरकार के खजाने पर अधिक बोझ पड़ता था।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम में मिलेगी टैक्स छूट?
नेशनल पेमेंट सिस्टम में टैक्स छूट का लाभ मिलता है। वह इसमें 1.5 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स छूट क्लेम कर सकता है। साथ ही, एनपीएस की 60 फीसदी रकम निकालने पर भी टैक्स नहीं लगता। वहीं, यूनिफाइड पेंशन स्कीम में टैक्स के बारे में अभी कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। हालांकि, यूपीएस में अधिक निश्चित न्यूनतम पेंशन मिलेगी। अगर कोई कर्मचारी 10 साल की सेवा के बाद रिटायर होता है, तो उसे 10 हजार रुपये की निश्चित न्यूनतम पेंशन मिलेगी। वहीं, ओल्ड पेंशन स्कीम में 10 साल की न्यूनतम सेवा के बाद प्रति माह 9 हजार रुपये पेंशन के तौर पर मिलते।
ओपीएस और यूपीएस में महंगाई का इंतजाम
ओपीएस और यूपीएस दोनों में मुद्रास्फीति यानी महंगाई के हिसाब से पेंशन बढ़ाने का प्रावधान है, ताकि पेंशनभोगी को जीवन-यापन करने में मुश्किल न हो। ओपीएस के तहत रिटायर्ड लोगों की पेंशन साल में दो बार संशोधित की जाती है, 1 जनवरी और 1 जुलाईस जब सरकार महंगाई भत्ते और महंगाई राहत में बढ़ोतरी की घोषणा करती है।
वहीं, यूपीएस में मुद्रास्फीति सूचकांक को निश्चित पेंशन, निश्चित पारिवारिक पेंशन और निश्चित न्यूनतम पेंशन पर लागू किया जाएगा। सरकारी घोषणा के अनुसार, यूपीएस में सेवा कर्मचारियों के मामले में अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (एआईसीपीआई-आईडब्ल्यू) के आधार पर महंगाई राहत दी जाएगी।
यूपीएस की खास बातें :
यूपीएस में कर्मचारियों को निश्चित पेंशन मिलेगी, जबकि एनपीएस में बाजार में निवेशित राशि के हिसाब से पेंशन मिलने की व्यवस्था है।
सेवानिवृत्त कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके आश्रित को पेंशन राशि का 60 प्रतिशत निश्चित पारिवारिक पेंशन के तौर पर दिया जाएगा।
कर्मचारी का कार्य-वर्ष चाहे जितना भी हो उसकी पेंशन की न्यूनतम राशि 10 हजार रुपये से कम नहीं होगी।
पेंशन की राशि को महंगाई के सूचकांक से जोड़ा गया है। यानी खुदरा महंगाई दर बढ़ेगी तो पेंशन की राशि भी बढ़ेगी।
महंगाई भत्ता के आधार पर पेंशन, पारिवारिक पेंशन और न्यूनतम पेंशन तीनों का निर्धारण होगा।
सेवा में संपन्न हर छह माह के लिए मूल वेतन की 10 प्रतिशत राशि एकमुश्त मिलेगी, जो ग्रेच्युटी के अलावा होगी।
मोटे तौर पर 30 वर्ष की सेवा के लिए एक कर्मचारी को छह माह का वेतन अलग से सेवानिवृत्त होने पर मिलेगा।
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