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FD में निवेश पर कैसे ले सकते हैं टैक्स का फायदा, TDS को लेकर जानें नियम

Deepa Sahu
8 Feb 2021 1:52 PM GMT
FD में निवेश पर कैसे ले सकते हैं टैक्स का फायदा, TDS को लेकर जानें नियम
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भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसा मौजूद रहे,

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसा मौजूद रहे, इसके लिए सेविंग्स यानी बचत जरूरी है. भारत में सेविंग्स के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में पैसे रखना अधिकतर लोग सहज, सरल व सुरक्षित मानते हैं. एफडी में निवेश पर टैक्स बेनिफिट मौजूद है लेकिन FD में जमा पैसे पर मिलने वाला ब्याज आयकर (Income Tax) के दायरे में आता है। इसलिए बैंक इस ब्याज पर TDS (Tax Deducted at Source) काटते हैं। आइए जानते हैं FD में निवेश पर टैक्स बेनिफिट और TDS से जुड़े नियम की पूरी डिटेल..

​FD में निवेश पर डिडक्शन कर सकते हैं क्लेम
FD में किए जाने वाले निवेश पर आयकर कानून के सेक्शन 80सी के तहत टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। डिडक्शन की लिमिट 1.50 लाख रुपये तक है। टैक्स सेविंग एफडी का मैच्योरिटी पीरियड 5 साल होता है और इन्हें मैच्योरिटी से पहले तुड़वाया नहीं जा सकता।
​FD से ब्याज आय के मामले में टैक्स नियम
बैंक FD से ग्राहक को मिलने वाले ब्याज पर TDS कटता है, जो बैंक काटते हैं। बैंक FD से सालाना 40000 रुपये तक की सीमा के अंदर ब्याज आय होने पर TDS से छूट का प्रावधान है। यह लिमिट 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए है। यहां एक बात दिलचस्प है कि पोस्ट ऑफिस की FD से ब्याज आय पर TDS नहीं कटता है। 60 साल से ज्यादा उम्र यानी सीनियर सिटीजंस के मामले में सेविंग्स अकाउंट, FD/TD, पोस्ट ऑफिस स्कीम्स, को-ऑपरेटिव बैंकों में किए गए किसी भी तरह के डिपॉजिट से एक वित्त वर्ष में हासिल होने वाला 50000 रुपये तक का ब्याज टैक्स फ्री है. ऐसा आयकर कानून के सेक्शन 80TTB के तहत है.
​TDS की ​सीमा
FD से तय छूट लिमिट से ज्यादा ब्याज आय होने पर बैंक TDS काटते हैं। मई 2020 में सरकार ने टीडीएस और टीसीएस दरों में कटौती की थी। कटौती के तहत एफडी के ब्याज पर TDS की दर 10 फीसदी से घटकर 7.5 फीसदी हो चुकी है। यह दर मार्च 2021 तक प्रभावी है। हालांकि PAN डिटेल्स न दिए जाने पर दर 20 फीसदी रहती है।
​जब टैक्स के दायरे में न आती हो कुल इनकम
अगर आपकी FD से सालाना ब्याज आय 40000/50000 रु से अधिक है लेकिन कुल सालाना आय (ब्याज आय मिलाकर) उस सीमा तक नहीं है, जहां वह टैक्स के दायरे में आए तो बैंक TDS नहीं काट सकते। बैंक TDS न काटे, इसके लिए सीनियर सिटीजन को बैंक में फॉर्म 15H जमा करना होता है। वहीं जो लोग सीनियर सिटीजन नहीं हैं, उन्हें फॉर्म 15G जमा करना होता है। ये फॉर्म इस घोषणा के लिए होते हैं कि व्यक्ति की सालाना आय एक वित्त वर्ष में तय मिनिमम एग्जेंप्ट आय से ज्यादा नहीं है। टैक्स न कटे, इसके लिए इन फॉर्म को हर साल वित्त वर्ष की शुरुआत में जमा करना होता है।


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