बिजली कटौती पर गरमाया सदन, कांग्रेस मुखर, सरकार से किए सवाल
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विधानसभा में नियम-58 के तहत चर्चा के दौरान उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी ने कहा कि प्रदेश में 35 से ज्यादा जल विद्युत परियोजनाएं होने के बावजूद आठ से दस घंटे की अघोषित बिजली कटौती की जा रही है। सरकार एक ओर इन्वेस्टर समिट करा रही है तो दूसरी ओर बिजली न मिलने से उद्योग पलायन कर रहे हैं।
कांग्रेस विधायक गोपाल सिंह राणा ने कहा कि जरा सी हवा में छह से सात दिन तक बिजली गुल हो जाती है। विधायक आदेश चौहान ने कहा कि गर्मियों में नदियों का जल स्तर कम हो जाने, बरसात में सिल्ट आने, सर्दियों में बर्फबारी से जलस्तर गिरने से जल विद्युत उत्पादन कम हो जाता है। सरकार इसका स्थायी समाधान निकाले। विधायक सुमित ह्रदयेश ने कहा कि हल्द्वानी में छह से सात घंटे कटौती मामूली बात हो गई है।
12 घंटे अघोषित कटौती का आरोप
विधायक ममता राकेश ने कहा कि जर्जर विद्युत लाइनों से आपूर्ति नहीं हो पा रही है। कई-कई घंटे तक रोजाना बिजली कट लग रहे हैं। अधिकारियों से पूछो तो कहते हैं कि ऊपर वालों ने बिजली काटी है। उन्होंने सवाल किया कि ये ऊपर वाला कौन है। विधायक अनुपमा रावत ने भी अपने क्षेत्र में आठ से 12 घंटे अघोषित कटौती का आरोप लगाते हुए सवाल किया कि वह कौन ऊपर वाला अधिकारी है, जिसके कहने पर कटौती हो रही है।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि जल विद्युत निगम की 1500 मेगावाट, टीएचडीसी की 300 मेगावाट बिजली मांग के सापेक्ष आधी भी नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार ने बिजली संकट से पार पाने के लिए पहले से दीर्घकालिक इंतजाम नहीं किए हैं। बाजार से बिजली खरीदना मजबूरी बन गई है। निगमों में शीर्ष पद खाली पड़े हैं। 35% बिजली बाजार से महंगी खरीदी जा रही है।
जवाब में संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में निश्चित तौर पर बिजली की मांग में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है। पांच साल में पहले जहां तीन प्रतिशत मांग बढ़ी थी, वहीं अब सालभर में 6.18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई है। उन्होंने कहा कि मांग और उपलब्धता में 60 लाख यूनिट का अंतर बना है। उन्होंने जवाब दिया कि केवल अपरिहार्य परिस्थिति जैसे फॉल्ट या नेशनल ग्रिड में अनुपलब्धता में ही अघोषित कटौती होती है।
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