व्यापार

बारिश की वजह से जलगांव में कॉटन किसानों को भारी नुकसान, अब सरकार से आस

Shiddhant Shriwas
29 Sep 2021 5:14 AM GMT
बारिश की वजह से जलगांव में कॉटन किसानों को भारी नुकसान, अब सरकार से आस
x
महाराष्ट्र के कपास किसानों का नया दर्द...इस तरह बर्बाद हो गई लागत और मेहनत. कॉटन उत्पादन के लिए मशहूर महाराष्ट्र पर बारिश की मार, नुकसान का मुआवजा चाहते हैं पीड़ित किसान, सुनिए किसानों की जुबानी

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। खेती-किसानी के लिए मशहूर महाराष्ट्र के जलगांव (Jalgaon) जिले में अतिवृष्टि ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. चालीसगांव तहसील के शिंडी गांव में कपास के खेतों में पानी भरा हुआ है. गणेश दौंड अपनी लगाई कपास की फसल को खराब होते देखकर दुखी हैं. वो कभी खेत में भरा हुआ पानी दिखाते हैं तो कभी सड़ रही कपास की हाथ में लेकर निहारते हैं. लेकिन उनके इस दुख पर सरकार ने अब तक मुआवजे का मरहम नहीं लगाया है…. कुछ इसी तरह की कहानी दूसरे कपास किसानों की भी है.

टीवी-9 डिजिटल से बातचीत में गणेश कहते हैं, 'मैंने इस साल आठ एकड़ में कपास (Cotton) लगाया था, लेकिन क्या पता था कि मेहनत और लागत पर बारिश पानी फेर देगी. सारी लागत और मेहनत बर्बाद हो गई. लॉकडाउन में भी इतनी हालत खराब नहीं हुई थी जितनी इस साल अतिवृष्टि के कारण हुई है. किसान कितनी उम्मीद से खेती करता है और इस तरह उसकी आंखों के सामने ही सबकुछ तबाह हो जाता है.'
टूट गईं उम्मीदें
जलगांव के किसान विशाल प्रभाकर ने बताया कि पहले भारी बारिश के कारण प्याज का नुकसान हुआ. उसकी नमी से 50-60 फीसदी फसल सड़ गई और अब कपास की फसल खराब हो रही है. मेरे अनुमान के मुताबिक 50 से 70 प्रतिशत तक का नुकसान हो चुका है. ज्यादा दिन पानी भरे रहने से पौधे खराब हो रहे हैं और फली सड़ रही है. सितंबर महीने की बारिश ने तो सारी उम्मीदें ही तोड़ दी हैं. हम सरकार से मांग करते हैं कि कपास सहित जितनी भी फसलों को अतिवृष्टि और बाढ़ से नुकसान हुआ है उन सभी की भरपाई के लिए आर्थिक मदद दी जाए.
मुआवजा नहीं मिला तो कैसे होगी खेती?
यहीं के कपास किसान आकाश पाटिल ने बताया कि ज्यादा दिन से खेतों में पानी भरे रहने की वजह से दिक्कत बढ़ गई है. इतने दिनों से किसान परेशानी में हैं, लेकिन अभी तक प्रशासन की तरफ से किसी भी तरह का सर्वे नहीं हुआ है. मुआवजे की घोषणा नहीं हुई है. ऐसे में इस नुकसान के बाद कैसे खेती होगी समझ में नहीं आ रहा. सरकार जल्द से नुकसान का आकलन करवाकर मुआवजा (Compensation) दे. वरना किसान आगे कैसे खेती करेंगे.
कपास की खेती और महाराष्ट्र
कपास एक नकदी फसल है. इसे सफेद सोना कहा जाता है, लेकिन महाराष्ट्र के हालात ऐसे हैं कि यहां के कपास किसान अपनी परेशानियों की वजह से चर्चा में रहते हैं. देश के प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, एमपी, हरियाणा एवं पंजाब आदि शामिल हैं. देश भर में कपास की सर्वाधिक खेती (Cotton Farming) महाराष्ट्र में ही होती है. राज्य में 33 लाख हेक्टेयर से ज्यादा में कपास की फसल लगाई जाती है. इस वक्त कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य क्वालिटी के हिसाब से 5726 एवं 6025 रुपये है.
Next Story