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क्या शुरू हो गया IT स्टॉक्स का बुरा दौर, IT सेक्टर के शेयरों में क्यों मचा कोहराम

Admin Delhi 1
9 Dec 2022 12:01 PM GMT
क्या शुरू हो गया IT स्टॉक्स का बुरा दौर, IT सेक्टर के शेयरों में क्यों मचा कोहराम
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मुंबई: क्रेडिट सुइस सिक्योरिटीज इंडिया (Credit Suisse Securities India) की तरफ से वैल्यूएशन में और करेक्शन की चेतावनी जारी करने के बाद आज आईटी कंपनियों के शेयर बिकवाली के दबाव में आ गए हैं। ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि भारत की बड़ी आईटी कंपनियों का वर्तमान वैल्यूएशन अमेरिका और यूरोप के बड़े बाजारों की बिगड़ती आर्थिक स्थिति को देखते हुए अभी भी काफी महंगा नजर आ रहा है। ऐसे में आगे आईटी कंपनियों में और गिरावट देखने को मिल सकती है। दुनिया भर के तमाम जानकारों का कहना है कि साल 2023 की दूसरी छमाही में अमेरिका की इकोनॉमी मंदी में जाती नजर आ सकती है। इसकी वजह यूएस फेड की ब्याज दरों में बढ़ोतरी की नीति होगी।

विकसित देशों की मंदी से भारत की चार टॉप की आईटी कंपनियों को सबसे ज्यादा नुकसान: क्रेडिट सुइस का कहना है कि विकसित देशों की मंदी से भारत की चार टॉप की आईटी कंपनियों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा। गौरतलब है कि अमेरिका में कई दशकों के हाई पर चल रही महंगाई की लगाम कसने के लिए यूएस फेड लगातार अपनी ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा है। मार्च से अब तक यूएस फेड ने ब्याज दरों में 3.50 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी कर दी है। इस अवधि में इसके बैलेंस सीट में बॉन्ड एसेट की हिस्सेदारी कम होती नजर आई है। इसको तकनीकी भाषा में क्वान्टिटेटिव टाइटनिंग कहा जाता है।

जानिए अमेरिकी इकोनॉमी में मंदी भारतीय आईटी सेक्टर के लिए निगेटिव क्यों: आम तौर पर माना जाता है कि अगर अमेरिकी इकोनॉमी में मंदी आती है तो भारतीय आई टी सेक्टर के लिए नेगेटिव होता है। इसकी वजह ये है कि भारतीय आईटी कंपनियों की कमाई में लगभग 45-60 फीसदी हिस्सेदारी अमेरिका की होती है। अमेरिका की इकोनॉमी में मंदी आने से भारतीय आईटी कंपनियों के ग्राहक टेक्नोलॉजी पर होने वाले अपने खर्च में कटौती कर सकते हैं। इसी हफ्ते एमेजन वेब सर्विसेज के एक क्लाइंट की तरफ से कहा गया था कि वो क्लाउड कंप्यूटिंग और उससे जुड़ी सेवाओं पर होने वाले अपने खर्च में कटौती करने की तैयारी में हैं। इसकी वजह अमेरिका की इकोनॉमी की खस्ता होती हालत है।

क्रेडिट सुइस का कहना है कि आगे हमें आईटी कंपनियों के ग्रोथ अनुमान में कटौती की संभावना नजर आ रही है। हालांकि उसका ये भी कहना है कि इससे कंपनियों के ईपीएस पर फिलहाल बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

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