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भारी बारिश से बच गई अंगूर की फसल, काम की है किसान की एडवांस प्लानिंग

Gulabi
18 Dec 2021 6:38 AM GMT
भारी बारिश से बच गई अंगूर की फसल, काम की है किसान की एडवांस प्लानिंग
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काम की है किसान की एडवांस प्लानिंग
महाराष्ट्र में इस बार बेमौसम बारिशके कारण बागवानी किसनों को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ हैं.लेकीन नासिक जिले के रहने वाले किसान हंसराज भडाने ने सही प्लानिंग के साथ फसलों की देख भाल की थी.जिससे उनकी फसले कुछ हद तक बच गई हैं.दिन-प्रतिदिन जलवायु परिवर्तन के प्रभाव ने योजना को कड़ी मेहनत से अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है.बेमौसम बारिश ने हजारों हेक्टेयर में अंगूर के बागों को नष्ट कर दिया है.नासिक जिले के खिरमणि शिवारा में 850 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ था.पूरे अंगूर के बाग में किसान द्वारा प्लास्टिक कैप कवर का उपयोग किया था.जिसके कारण बारिश में 3 एकड़ बाग बच गए थे. साथी ही प्लास्टिक कैप कवर के उपयोग के कारण बेमौसम बारिश या बदलते मौसम में रोगों से ज्यादा प्रभावित भी नही होपायी थी.तो वही अंगूर उत्पादन अंगूर के बागों पर प्लास्टिक कैप कवर करना चाहते हैं जिसके के लिए किसान प्रशासन से मदद की उम्मीद कर रहे.
फसल कवर के क्या लाभ हैं?
पिछले कुछ वर्षों से प्राकृतिक आपदाएं एक नियमित घटना रही हैं.इस बार फसले तैयार होक बारिश की वजह से खराब हुए हैं.बारिश इसके चलते कटी हुई फसलें नष्ट हो रही थीं. हैं.हालांकि किसान फसल कवर की उपेक्षा करते हैं.क्योंकि यह महंगा पड़ता हैं.लेकिन खिरमानी के हंसराज भडाने ने केवल तीन एकड़ में थॉमसन वाइनयार्ड के लिए फसल कवर का उपयोग किया है.जिससे उनके बाग बारिश,धूप और बीमारी से बच गए.किसान का कहना हैं बारिश और ओलावृष्टि से बचाए जाने पर निर्यातित अंगूरों को अब ऊंचे दाम मिलने की उम्मीद हैं.
प्लास्टिक कवरिंग के लिए 4 लाख रुपये प्रति एकड़ का अनुदान
अंगूर कवर के लिए प्रशासनिक स्तर पर अनुदान की योजना है.प्लास्टिक पेपर के लिए 2 लाख 50 हजार से 3 लाख प्रति एकड़, एंगल और तार निर्माण के लिए 1 लाख प्रति एकड़ 4 लाख प्रति एकड़ की दर से प्रस्तावित है इसकी तुलना में अगर सरकार 50 फीसदी सब्सिडी का आधा हिस्सा मांग के मुताबिक दे देती तो किसानों को बड़ी मदद होती. लेकिन प्रशासनिक स्तर पर समय रहते कोई सही फैसला नहीं लिया गया है.इससे बागों को नुकसान पहुंचा रहा हैं.
घाटे में चल रहे बागवान किसान कर्जदार
हालांकि अंगूर के बाग से अधिक उत्पादन होता है बाग की खेती की लागत बहुत बड़ी है.इसके अलावा, संक्रमण के बाद दो दिनों में एक बार छिड़काव करने की सलाह दी जाती है. साथ ही लागत के बावजूद अंतिम चरण में प्रकृति की मार से किसानों को अपूरणीय क्षति हुई है. कम उत्पादन और अधिक लागत के साथ इस वर्ष भी स्थिति समान ही हैं नतीजा यह हुआ कि इस साल बागबानी किसान भी कर्ज में डूब गए हैं.किसान इस सवाल का सामना कर रहे हैं कि साल भर की मेहनत भी बर्बाद हुई और कर्ज भी बढ़ता गया.किसानों ने का कहना हैं कि प्रशासन की तरफ से कहा गया था,कि आठ दिनों में पंचनामा कर कार्रवाई की जाएगी.लेकीन यह आश्वासन हवा में दुर्लभ है.
प्रशासन किसानों की मांग को अनसुना कर रहा हैं
हर साल अंगूर के बागों की प्रकृति अलग नहीं होती है इसलिए जिले के कसमाडे बेल्ट के सतना, मालेगांव, देवला और कलवन तालुका के किसानों ने अंगूर के बागों की कटाई शुरू होते ही सब्सिडी पर प्लास्टिक कवर की मांग की थी.इससे अंगूर की रक्षा होती.करीब 40 फीसदी अंगूर की फसल बारिश से पहले हो खराब हो चुकी थी. इस प्लास्टिक कवर में बाकी अंगूर सुरक्षित रहते.लेकिन प्रशासन अनुदान की मांग की अनदेखी कर रहा है. इस क्षेत्र में करीब 200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.किसानों का कहना है कि अगर प्रशासन ने फैसला लिया होता तो आज तस्वीर कुछ और होती.
किसान नेता राजू शेट्टी ने मुआवजे के लिए की थी मांग
स्वाभिमानी शेतकरी संगठन राजू शेट्टी ने मांग की हथीं कि प्रभावित अंगूर उत्पादकों के लिए एक विशेष सहायता पैकेज की घोषणा की जाए. साथ ही मौसम आधारित अंगूर फसल बीमा योजना को और बेहतर किया जाए. शेट्टी ने यह बात बेमौसम बारिश से सांगली जिले में क्षतिग्रस्त अंगूर के बागों का निरीक्षण कर किसानों से मुलाकात के बाद कही थीं.
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