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आदिवासियों की आमदनी बढ़ाने में मदद करती है सरकार की वन धन योजना, जानिए कैसे?

Gulabi
15 Nov 2021 11:45 AM GMT
आदिवासियों की आमदनी बढ़ाने में मदद करती है सरकार की वन धन योजना, जानिए कैसे?
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सरकार की वन धन योजना

भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी थे और आदिवासी समाज के महान नेता बिरसा मुंडा की आज जयंती है. बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर, 1875 को खूंटी के उलीहातू में हुआ था. आदिवासियों और देश के सम्मान और हक के लिए बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था. केंद्र सरकार और बीजेपी शासित राज्य सरकारें बिरसा मुंडा की जयंती को उनके सम्मान में 'जनजातीय गौरव दिवस' के रूप में मना रही है.

मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने बिरसा मुंडा की जयंती के मौके पर भोपाल में 'जनजातीय गौरव दिवस सम्मेलन' का आयोजन किया है. इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भोपाल पहुंचे. प्रधानमंत्री मोदी ने बिरसा मुंडा को याद करते हुए ट्वीट किया, "बिरसा मुंडा स्वतंत्रता आंदोलन को तेज धार देने के साथ-साथ आदिवासी समाज के हितों की रक्षा के लिए सदैव संघर्षरत रहे. देश के लिए उनका योगदान हमेशा स्मरणीय रहेगा."
इस बड़े मौके पर मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के आदिवासी समाज के लिए कई लाभकारी योजनाओं का ऐलान किया. बिरसा मुंडा की जयंती पर आज हम आपको केंद्र सरकार द्वारा जनजातीय समुदाय के लिए शुरू की गई ऐसी योजना के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य आदिवासी लोगों का आर्थिक विकास करना है. जी हां, आज हम यहां आपको 'वनधन विकास योजना' के बारे में कुछ जरूरी बातें बताने जा रहे हैं.
क्या है वनधन विकास योजना
वन धन योजना 14 अप्रैल, 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जनजातीय मामलों के मंत्रालय के साथ केंद्रीय स्तर पर नोडल विभाग के रूप में और राष्ट्रीय स्तर पर नोडल एजेंसी के रूप में शुरू की गई, सामाजिक के लिए एक अच्छी सोच वाला मास्टर प्लान है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश की जनजातीय आबादी का आर्थिक विकास करना है.
योजना के प्रमुख काम
वन धन योजना का प्रमुख काम आदिवासी लोगों के लिए आजीविका सृजन को लक्षित करना और उन्हें उद्यमियों में बदलना है. इसके अलावा वनाच्छादित जनजातीय जिलों में वन धन विकास केन्द्रों (VDVK) के स्वामित्व वाले जनजातीय समुदाय को स्थापित करना है. केंद्र सरकार इस योजना के तहत देश के जनजातीय क्षेत्रों में 50,000 'वन धन विकास केंद्र' स्थापित करेगी, ताकि वन उपज के लिए प्राथमिक प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके और जनजातियों के लिए रोजगार उपलब्ध हो सके. बता दें कि इस योजना के तहत देशभर में अभी तक 141 आउटलेट खोले जा चुके हैं, जहां जनजातीय उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है.
33,360 वन धन विकास केंद्रों को मिली मंजूरी
ट्राईफैड के अनुसार, 31 मार्च, 2021 तक ट्राईफैड के द्वारा 18 महीने से भी कम समय में 2224 वीडीवीकेसी (वन धन विकास केंद्र क्लस्टर) के प्रत्येक समूह में शामिल 300 वन निवासियों के साथ 33,360 वन धन विकास केंद्रों को मंजूरी दे दी गई है. ट्राईफैड ने बताया कि एक विशिष्ट वन धन विकास केंद्र में 20 जनजातीय सदस्य शामिल हैं. ऐसे 15 वन धन विकास केंद्रों मिलकर 1 वन धन विकास केंद्र समूह बनाते हैं. वन धन विकास केंद्र समूह 23 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के वन धन विकास केंद्रों को व्यापक आर्थिक लाभ, आजीविका और बाजार से जोड़ने के साथ-साथ जनजातीय वन सभाओं को उद्यमशीलता के अवसर प्रदान करेंगे.
पूर्वोत्तर इस मामले में नेतृत्व कर रहा है जहां 80 प्रतिशत वीडीवीके स्थापित हैं. इसके बाद महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश ऐसे अन्य राज्य हैं जहां इस योजना को शानदार परिणामों के साथ अपनाया गया है. यह बाजार से संबंध स्थापित करने में सफल रहा है. इनमें से कई जनजातीय उद्यम बाजारों से जुड़े हैं.
वन धन से तैयार किए जा रही है उत्पादों की सीरीज
योजना के तहत फलों की कैंडी (आंवला, अनानास, जंगली सेब, अदरक, अंजीर, इमली), जैम (अनानास, आंवला, बेर), रस और स्क्वैश (अनानास, आंवला, जंगली सेब, बेर, बर्मी अंगूर), मसाले (दालचीनी, हल्दी, अदरक), अचार (बांबू शूट, किंग चिली मिर्च) और संसाधित गिलोय से लेकर सभी उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला को संसाधित करते हुए वन धन विकास केंद्रों में पैक किया गया है और इन्हें ट्राइब्स इंडिया आउटलेट्स के माध्यम से TribesIndia.com पर और बाजार में मार्केटिंग किया जाता है.
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