व्यापार

सरकार का बड़ा फैसला, अब तीन प्रकार की दाल का होगा आयात

Apurva Srivastav
16 May 2021 9:59 AM GMT
सरकार का बड़ा फैसला, अब तीन प्रकार की दाल का होगा आयात
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दाल की कीमतों आई तेजी पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार ने तीन दालों की मुफ्त आयात की मंजूरी दे दी है

दाल की कीमतों आई तेजी पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार ने तीन दालों की मुफ्त आयात की मंजूरी दे दी है. तीन साल बाद ऐसी स्थिति आई है कि खरीफ सीजन की बुवाई शुरू होने से पहले दाल का निर्यात करना पड़ रहा है. सूत्रों ने कहा कि इन तीनों प्रकार की दालों के आयात को गैर-प्रतिबंधित सूची के तहत रखा गया था. पिछले दिनों व्यापारियों के पास स्टॉक की कमी के कारण दालों की खुदरा कीमतें बढ़ी हैं.

एक अधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, इस साल 30 नवंबर से पहले आयात की खेप को मंजूरी देनी होगी. इसके बाद किसी भी तरह के दाल की आयात की अनुमति नहीं दी जाएगी.
बाजार को संभालने की कोशिश
व्यापारिक सूत्रों के अनुसार, दिसंबर के अंत से अरहर, उड़द और मूंग की नई खरीफ फसल बाजार में आने से पहले घरेलू बाजार आयात के भार दबाव में न आएं. इसलिए यह फैसला लिया गया है. साथ ही यह सुनिश्चित भी करने की कोशिश है कि किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिले.
एमएसपी से अधिक हुईं दाल की कीमतें
पिछले कुछ हफ्तों में खुदरा बाजारों में अरहर की कीमतें 7000 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक हो गई हैं, जो कि 2020-21 के एमएसपी 6,000 रुपये प्रति क्विंटल से लगभग 1000 रुपये अधिक है. उड़द की कीमतें और भी अधिक लगभग 8000 रुपये प्रति क्विंटल पर चल रही हैं. उड़द का 2020-21 एमएसपी 6000 रुपये प्रति क्विंटल है. मूंग का बाजार भाव भी इसके एमएसपी 7196 रुपये प्रति क्विंटल के करीब है.
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के मुताबिक, "राज्य एजेंसियों द्वारा अरहर की खरीद लगभग समाप्त हो गई है और किसानों के पास ज्यादा स्टॉक नहीं बचा है, जबकि उड़द की फसल भी समाप्त हो गई है. मूंग के मामले में गर्मी की फसल का कुछ स्टॉक किसानों के पास है. ऐसे में आयात खोलने के फैसले का किसानों की आमदनी पर ज्यादा असर नहीं होना चाहिए.
क्या पड़ेगा बुवाई पर असर
उन्होंने कहा कि फसल के मौसम में बुवाई से पहले दाल की कीमतों में व्यापक रूप से उतार-चढ़ाव पहले भी देखने को मिला है. लेकिन इससे बुवाई प्रभावित नहीं हुई है. इसके बजाय, हमने पिछले कुछ वर्षों में लगातार अधिक दालों का उत्पादन किया है. उन्होंने कहा कि हमारी औसत फसल 2007-2008 में सालाना 15-16 टन से बढ़कर 2020-21 में 24 मिलियन टन से अधिक हो गई है, जो 60 प्रतिशत से अधिक की छलांग है.


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