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खाद पर सब्सिडी की रकम बढ़ाएगी सरकार, जाने प्लान

Bhumika Sahu
24 Dec 2021 6:56 AM GMT
खाद पर सब्सिडी की रकम बढ़ाएगी सरकार, जाने प्लान
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रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के लिए खाद मंत्रालय ने इंपोर्टेड खाद पर सब्सिडी देने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जो खत्म हो चुके हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। किसानों के खर्च में कटौती और आमदनी में बढ़ोतरी करने के लिए सरकार अपनी क्षमता के हिसाब से वे सभी कोशिशें कर रही है, जो वह कर सकती है. इसी कड़ी में खबर आ रही है कि केंद्र सरकार किसानों को राहत देने के लिए 15000 करोड़ रुपये खर्च कर सकती है.

ईटी नाओ की खबर के मुताबिक भारत सरकार इंपोर्टेड यूरिया पर सब्सिडी बढ़ा सकती है. इसके लिए 15 हजार करोड़ रुपये के अतिरिक्त आवंटन का प्रस्ताव तैयार किया गया है, जिसे अगले महीने यानी जनवरी 2022 में वित्त मंत्रालय को भेजा जाएगा.
खाद की वैश्विक कीमतों में उछाल को देखते हुए तैयार किया गया प्रस्ताव
खबर के मुताबिक खाद की वैश्विक कीमतों में हुई भारी बढ़ोतरी को देखते हुए खाद मंत्रालय ने खाद पर दी जाने वाली सब्सिडी की रकम बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया है.
बताया जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में यूरिया की मौजूदा कीमतों को देखते हुए खाद मंत्रालय ने सब्सिडी देने के लिए जो रकम तय की थी, अब उससे काफी ज्यादा रकम की जरूरत पड़ रही है.
सब्सिडी के लिए पहले आवंटित किए गए 20 हजार करोड़ रुपये खत्म
इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए खाद मंत्रालय ने इंपोर्टेड खाद पर सब्सिडी देने के लिए अतिरिक्त 15 हजार करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव तैयार किया है, जो मौजूदा वित्त वर्ष के खत्म होने तक इस्तेमाल में लाया जाएगा.
रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के लिए खाद मंत्रालय ने इंपोर्टेड खाद पर सब्सिडी देने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जो खत्म हो चुकी है. इसलिए दूसरे सप्लिमेंट्री ग्रांट के जरिए अब 15000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी देने की योजना बनाई जा रही है.
खाद की किल्लत ने किसानों को किया परेशान
बताते चलें कि देशभर में किसान इन दिनों कई तरह की समस्याओं से जूझ रहा है. पहले बेमौसम बरसात ने खेतों में तैयार फसलों को बर्बाद कर दिया. मौसम के कहर से किसान अभी उबर भी नहीं पाए थे कि खाद की किल्लत ने किसानों की समस्याओं को कई गुना बढ़ा दिया.
खाद की कमी के चलते धड़ल्ले से खाद की कालाबाजारी शुरू हो गई. नतीजन, किसानों को खाद खरीदने के लिए तय कीमत से ज्यादा कीमत चुकानी पड़ी. हालांकि, सरकारों ने खाद की कमी और कालाबाजारी के खिलाफ सख्त कदम उठाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की गई.


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