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बजट में सरकार का रहेगा खास ध्यान, MSME के लिए बरकरार रह सकती है राहत

Bhumika Sahu
12 Jan 2022 4:34 AM GMT
बजट में सरकार का रहेगा खास ध्यान, MSME के लिए बरकरार रह सकती है राहत
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रोजगार और राजस्व दोनों की रीढ़ एमएसएमई है और मोदी सरकार इसे हर हाल में मजबूत रखेगी। कोरोना काल में एमएसएमई को बचाने के लिए सरकार ने 3.5 लाख करोड़ रुपये की इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम की घोषणा की थी जो एमएसएमई के लिए वरदान साबित हुई थी।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रोजगार और राजस्व, दोनों की रीढ़ एमएसएमई है और मोदी सरकार इसे हर हाल में मजबूत रखेगी। कोरोना काल में एमएसएमई को बचाने के लिए सरकार ने 3.5 लाख करोड़ रुपये की इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) की घोषणा की थी, जो एमएसएमई के लिए वरदान साबित हुई थी। बढ़ते ओमिक्रोन को देखते हुए सरकार इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) की अवधि को बढ़ा सकती है। इस स्कीम की अवधि आगामी 31 मार्च को खत्म हो रही है, जिसे आगामी जून तक बढ़ाया जा सकता है। इस स्कीम के तहत 100 फीसद लोन बिना गारंटी के एमएसएमई को दिया जाता है। वहीं, सर्विस सेक्टर पर खासतौर से ध्यान रहेगा।

मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, बजट में छोटे उद्यमियों को लोन के भुगतान या रिपेमेंट का भी मोरोटोरियम दिया जा सकता है। उम्मीद की जा रही है कि आगामी मार्च तक ओमिक्रोन का प्रभाव रहेगा। कई राज्यों में विभिन्न प्रकार की पाबंदियां शुरू हो गई हैं। ऐसे में सेवा क्षेत्र के प्रभावित होने की आशंका तेज हो गई है। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, सेवा क्षेत्र को लोन के भुगतान में मोरोटोरियम दिया जा सकता है। एमएसएमई के बीच डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ाने के लिए सरकार इंसेंटिव की भी घोषणा कर सकती है क्योंकि एमएसएमई का ट्रांजेक्शन पूरी तरह से डिजिटल होने पर उन्हें बैंकों को लोन देने में आसानी होगी।
भारतीय स्टेट बैंक के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष कहते हैं कि ईसीएलजीएस से 13.5 लाख एमएसएमई को बचा लिया गया। 1.5 करोड़ नौकरियां बच गईं और 14 फीसदी एमएसएमई को एनपीए घोषित होने से बचा लिया गया। लेकिन, कोरोना काल में शुरू की गई ईसीएलजीएस स्कीम के तहत 80 फीसदी एमएसएमई इसलिए लोन नहीं ले सकीं क्योंकि वे शर्त को पूरा नहीं करती थीं या उन्हें उस समय उसकी जरूरत नहीं थी। नए एमएसएमई या कभी लोन नहीं लेने वाले उद्यमी भी ईसीएलजीएस के तहत लोन नहीं ले सकते थे। देश में 6 करोड़ से अधिक एमएसएमई है, जहां 11 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है और इन सबके विकास में ही देश का विकास है क्योंकि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में एमएसएमई का योगदान 30 फीसद और देश के निर्यात में 40 फीसद है।
एसबीअई की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर 13.5 लाख एमएसएमई को बचा लिया गया तो वह कुल एमएसएमई का 10 फीसदी भी नहीं है। विशेषज्ञों की मानें तो सरकार के स्तर पर भी इस दिशा में सोचा जा रहा है क्योंकि ओमिक्रोन की वजह से एक बार फिर से संपर्क से चलने वाले सेक्टर दिक्कत में हैं और उनके कारोबार को मदद की दरकार पड़ सकती है। छोटे उद्यमियों के साथ सबसे बड़ी दिक्कत कार्यशील पूंजी की होती है और कारोबार के प्रभावित होते ही उनकी कार्यशील पूंजी फंसने लगती है और फिर वे दुष्चक्र में फंसने लगते हैं।
इन सब परिस्थितियों को देखते हुए आगामी एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में जानकार एक बार फिर से एमएसएमई के लिए खास घोषणा की उम्मीद कर रहे हैं ताकि उन्हें आसानी से नकदी मिल सके, उन्हें माल बेचने के लिए बाजार उपलब्ध हो सके और बड़ी कंपनियों की वजह से उन्हें पूंजी की कोई दिक्कत नहीं हो।
एमएसएमई विशेषज्ञ मुकेश मोहन गुप्ता के मुताबिक, देर से भुगतान की समस्या बरकरार है और बजट में सरकार को इसके समाधान के लिए उपाय करने चाहिए। उन्होंने बताया कि बड़ी कंपनियों की वजह से भी एमएसएमई का भुगतान फंसता है क्योंकि कई ऐसी कंपनियां हैं जो दिवालिया घोषित हो गई और फिर वहां एमएसएमई का बकाया फंस जाता है। अधिकतर एमएसएमई बड़ी कंपनियों के लिए जॉब वर्क का काम करते हैं। कच्चे माल की कीमत को नियंत्रित करना इस बजट में सरकार को मैन्यूफैक्चरिग से जुड़े कच्चे माल की कीमतों को कम करने के भी उपाय करने होंगे। ऐसा नहीं होने पर एमएसएमई ऑर्डर होते हुए निर्माण नहीं कर पाएंगे क्योंकि कच्चे माल की कीमत पिछले एक साल में दोगुनी से अधिक हो चुकी है। कच्चे माल की कीमत में भारी बढ़ोतरी से पिछले दो-तीन महीनों में एमएसएमई का टर्नओवर तो बढ़ गया, लेकिन उनका मार्जिन कम हो गया।
फेडरेशन ऑफ इंडियन स्माल मीडियम इंटररप्राइजेज (फिस्मे) के महासचिव अनिल भारद्वाज कहते हैं कि सरकार को कच्चे माल के ड्यूटी स्ट्रक्चर में बदलाव कर उसके दाम को काबू में लाना ही होगा, नहीं तो एनपीए बढेंगे। विशेषज्ञों के मुताबिक, टैक्स के स्तर पर भी एमएसएमई को छूट देने की जरूरत है क्योंकि एमएसएमई सबसे अधिक रोजगार का सृजन करता है। वहीं, 40 लाख रुपए से कम के काराबोर करने वाले छोटे कारोबारियों को ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर जीएसटी पंजीयन से छूट मिलनी चाहिए क्योंकि फिजिकल रूप से 40 लाख रुपए से कम के कारोबारियों को जीएसटी पंजीयन की जरूरत नहीं होती।
चालू वित्त वर्ष 2021-22 में एमएसएमई के लिए 15700 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया जबकि वित्त वर्ष 2020-21 में एमएसएमई को 7572 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। एमएसएमई के लोन की गारंटी के लिए 10000 करोड़ रुपए का कोष भी बनाया गया।


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