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टेस्ला का कहना है कि अगर आयात शुल्क कम होता है तो इलेक्ट्रिक कारें अधिक सस्ती हो सकती है.
टाटा मोटर्स ने सोमवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि टेस्ला की भारत में अपने वाहनों को बेचने के लिए आयात शुल्क कम करने की मांग के बीच सरकार अपनी फेम योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की नीति का लगातार पालन करेगी.
ऑटो कंपनी की 2025 तक अपने घरेलू उत्पाद पोर्टफोलियो में 10 नए बैटरी इलेक्ट्रिक वाहन (बीईवी) जोड़ने की योजना है. कंपनी ने कहा कि उसे उम्मीद है कि सरकार की नीति इस वर्ग के लिए अपने द्वारा पहले से शुरू की जा चुकी नीति के अनुरूप बनी रहेगी.
सरकार के FAME II के अनुरुप काम करने की उम्मीद
कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी पी बालाजी ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए कहा, 'टाटा मोटर्स के दृष्टिकोण से, भारत सरकार ने फेम 2 प्रोत्साहनों के माध्यम से, उस दिशा के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया बहुत स्पष्ट रूप से निर्धारित किए हैं जिसमें ईवी को अपनाने के लिए हमें तेजी से बढ़ना चाहिए. इसने हमेशा सस्ती ईवी और साथ ही चरणबद्ध निर्माण योजनाओं के अनुसार स्थानीयकरण पर जोर दिया है.' उन्होंने कहा, 'मुझे यकीन है कि सरकार उस विशेष सोच और फेम2 के सिद्धांतों के अनुरूप काम करती रहेगी. हम सभी इसी दिशा में काम कर रहे हैं.'
टेस्ला ने की इम्पोर्ट ड्यूटी को कम करने की मांग
अमेरिका की दिग्गज इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी टेस्ला ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयात शुल्क घटाने की मांग की है. सूत्रों के अनुसारा कंपनी ने मंत्रालय और निति आयोग को पत्र लिखकर फुली असेम्बल्ड इलेक्ट्रिक कारों के इम्पोर्ट पर 40 प्रतिशत का फेडरल टैक्स लगाने की मांग की है. मौजूदा समय की अगर बात करें तो 40 हजार डॉलर से कम कीमत वाली कारों के लिए 60 प्रतिशत का फेडरल टैक्स और 40 हजार डॉलर से ज्यादा कीमत वाली कारों के लिए 100 प्रतिशत का टैक्स वसूला जाता है. टेस्ला का कहना है कि अगर आयात शुल्क कम होता है तो इलेक्ट्रिक कारें अधिक सस्ती हो सकती है.
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