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भारत नए सीजन में चीन पर दी जाने वाली एक्सपोर्ट सब्सिडी को खत्म कर सकता है
भारत नए सीजन में चीन पर दी जाने वाली एक्सपोर्ट सब्सिडी को खत्म कर सकता है. यह फैसला अक्टूबर में लागू किया जा सकता है. दुनिया में चीनी की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी को देखते हुए सरकार यह फैसला ले सकती है. भारत के चीनी मिलों की चीनी दुनिया के बाजारों में पहुंच सके, इसके लिए सरकार यह फैसला ले सकती है.
'इकोनॉमिक टाइम्स' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार अगले साल के लिए चीनी पर किसी तरह का सब्सिडी देने का विचार नहीं कर रही है. इस बात की जानकारी खाद्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी सुधांशु पांडेय ने 'रॉयटर्स' को दी. उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए चीनी पर सब्सिडी की जरूरत नहीं लगती. एक निर्यात अपने आप सही ढंग से हो रहा है तो उसके लिए सब्सिडी की क्या जरूरत. इस स्थिति को देखते हुए वैश्विक बाजार के लिए सब्सिडी न देना अच्छा रहेगा.
दूसरे नंबर पर भारत
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी का उत्पादक है. पहले स्थान पर ब्राजील है. यहां पिछले तीन साल से निर्यात में तेजी बनी हुई है. इसके चलते भारत को दुनिया में चीनी निर्यात के लिए सबसे भरोसेमंद देश माना जाता है. दुनिया के प्रतिस्पर्धी देश भारत की एक्सपोर्ट सब्सिडी की नीति पर सवाल उठाते रहे हैं. विश्व व्यापार संगठन WTO में ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और ग्वाटेमाला ने भारत की सब्सिडी नियम का विरोध किया था. इसे देखते हुए डब्ल्यूटीओ ने 2019 में एक पैनल बनाकर भारत की चीनी निर्यात सब्सिडी पॉलिसी पर गौर करने का निर्देश दिया.
दूसरी ओर, भारत कहता रहा है कि उसकी सब्सिडी पॉलिसी से डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन नहीं होता. भारत के चीनी की मांग दुनिया में तेजी से बढ़ रही है जिससे दुनिया के देशों में कड़ी प्रतिस्पर्धा होगी और इससे चीनी के दाम में स्थिरता देखी जाएगी. ऐसी स्थिति में सब्सिडी देने की जरूरत नहीं है.
5 महीने पहले हो गया करार
भारत के निर्यात की मांग कितनी ज्यादा है, इसे समझने के लिए ये जान सकते हैं कि कई देशों ने भारत के साथ 5 महीने पहले ही करार कर लिया है. ब्राजील का चीनी उत्पादन पहले की तुलना में घट सकता है, जिसका फायदा भारत उठाना चाहता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय चीनी का निर्यात 30 सितंबर तक 70 लाख टन (MT) तक पहुंचने की उम्मीद है. वहीं, अगले सीजन में शिपमेंट कम से कम छह मिलियन टन होने की उम्मीद है, जो वैश्विक कीमतों में 4-1/2-वर्ष के उच्चतम स्तर पर है. भारतीय चीनी के निर्यात में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है. भारत ने अबतक सबसे अधिक चीनी का निर्यात इंडोनेशिया को किया गया है. इंडोनेशिया को 6.9 लाख टन चीनी भेजी गई है. आगे भी चीनी निर्यात बढ़ने से मिल मालिकों और गन्ना किसानों को फायदा हो सकता है.
महाराष्ट्र और कर्नाटक को फायदा
महाराष्ट्र और कर्नाटक में चीनी मिलों ने अगले सीजन के लिए चीनी बेचने के लिए वायदा अनुबंध किया है, क्योंकि मौजूदा वैश्विक कीमत उनके लिए सही है. बंदरगाह उनके लिए नजदीक हैं, इसलिए निर्यात करना आसान है. भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा कि यदि वैश्विक बाजार में कच्ची चीनी की कीमतें 21.5 अमेरिकी सेंट प्रति पाउंड को छूती हैं, तो उत्तर भारत की मिलें बिना किसी सरकारी सहायता के निर्यात पर ध्यान देंगी. इस सीजन में चीनी निर्यात को केंद्र सरकार के अहम फैसलों से भी मदद मिली है. सबसे पहले केंद्र ने निर्यात बाजार के साथ घरेलू बाजार के लिए चीनी रिलीज की अदला-बदली की अनुमति दी.
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