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प्रोजेक्ट (Privacy Sandbox Project) का नाम दिया गया है. आइए इस फीचर के बारे में और जानते हैं..
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कुछ समय पहले यह सूचना सामने आई थी कि ऐप्पल (Apple) ने एक खास प्राइवसी फीचर जारी किया है जिसके बाद ऐप डिवेलपर्स को यूजर्स से उन्हें ट्रैक करने से पहले पर्मिशन लेनी होगी. जहां यूजर्स ने इस फीचर को बहुत पसंद किया वहीं ऐड्वर्टाइजर्स और सोशल मीडिया कंपनियां इस फैसले से काफी नाखुश हैं. आपको बता दें कि अब ऐप्पल की तरह गूगल (Google) भी अपने एंड्रॉयड (Android) ऐप्स के लिए इस फीचर को जारी कर रहा है, जिसे प्राइवेसी सैंडबॉक्स प्रोजेक्ट (Privacy Sandbox Project) का नाम दिया गया है. आइए इस फीचर के बारे में और जानते हैं..
क्या है Google का प्राइवेसी सैंडबॉक्स प्रोजेक्ट
हम आपको बता दें कि गूगल ने एक ब्लॉग में इस बात का खुलासा किया है कि वो अपने प्राइवेसी सैंडबॉक्स प्रोजेक्ट से एंड्रॉयड ऐप्स को और प्राइवेट बनाने जा रहे हैं. अपने इस प्रोजेक्ट के तहत गूगल ऐसे सोल्यूशन्स पर काम करेगा जिनसे ऐप्स के साथ यूजर्स का जो डेटा शेयर होता है, उसे कम या लिमिट किया जा सके, यानी ऐप्स के लिए यूजर को ट्रैक करना आसान नहीं होगा.
गूगल ऐसे बनाएगा ऐप्स को और प्राइवेट
गूगल ने जहां इस बारे में कोई खुलासा नहीं किया है कि वो अपने इस नए कदम पर काम कैसे करेंगे लेकिन यह जरूर कहा है कि वो कोशिश करेंगे कि एंड्रॉयड ऐप्स बिना क्रॉस ऐप आइडेंटिफाइअर्स (cross app identifiers) के काम कर सकें. अगर आप सोच रहे हैं कि ये क्रॉस ऐप आइडेंटिफाइअर्स क्या होते हैं तो हम आपको बता दें कि ये आइडेंटिफाइअर्स स्मार्टफोन्स से जुड़े होते हैं और ऐप्स इनका इस्तेमाल इन्फॉर्मेशन इकट्ठा करने के लिए करते हैं.
गूगल का कहना है कि वो इन क्रॉस ऐप आइडेंटिफाइअर्स को अगले दो साल तक उनकी जगह में रखेगा और तब तक में वो 'इंडस्ट्री के साथ' एक नए सिस्टम पर काम करेगा.
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