Google अपने Android सॉफ्टवेयर की बदौलत भारत के स्मार्टफोन बाजार में 'दादागिरी' करती है. ये हम नहीं बल्कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) की एक जांच रिपोर्ट कहती है. इस जांच रिपोर्ट के हिसाब से भारत के 98% स्मार्टफोन मार्केट पर Google के Android ऑपरेटिंग सिस्टम का कब्ज़ा है. CCI ने Google के खिलाफ स्मार्टफोन बनाने वाली कई कंपनियों से मिली शिकायत के बाद अप्रैल 2019 में ये जांच शुरू की थी. लगभग दो साल चली जांच के बाद तैयार 750 पेज की एक रिपोर्ट में Google को ना सिर्फ अपनी हैसियत का गलत फायदा उठाने (दादागिरी करने) का दोषी पाया गया. बल्कि ये भी देखा गया कि मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम और इससे जुड़े बाजार में वो गैर-प्रतिस्पर्धी, अनुचित और प्रतिबंधित व्यापार गतिविधियों को अपनाती है. इस जांच में CCI ने Apple, Microsoft, Amazon, Paytm, PhonePe, Mozila, Samsung, Xiaomi, Vivo, Oppo और Karbonn जैसी कंपनियों से भी सवाल किए.
CCI के जांच पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि Google, सर्च (Google Search), म्यूजिक (YouTube), ब्राउंजिंग (Chrome) और ऐप लाइब्रेरी (Play Store) के बाजार में अपना दबदबा बनाए रखने के लिए इनोवेशन और प्रतिस्पर्धा को दरकिनार करती है. टीओआई की खबर के मुताबिक वह मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों से एकतरफा अनुबंध करती है और ऐप डेवलपरों पर अपनी शर्तें लगाती है ताकि उसकी खुद की ऐप का दबदबा कायम रहे.
जांच रिपोर्ट में Google को प्रतिस्पर्धा कानून की धारा-4(2)(a)(i),धारा-4(2)(b),धारा-4(2)(c),धारा-4(2)(d) और धारा-4(2)(e) के तहत दोषी पाया गया. जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि Google अधिकतर मोबाइल बनाने वाली कंपनियों को Android लाइसेंस के साथ अपनी कुछ विशेष शर्तें भी लगाती है और उन्हें Google Mobile Services (GMS) सुइट देती है, जिसमें गूगल प्ले स्टोर, क्रोम और यूट्यूब जैसी ऐप को बंडल बनाकर दिया जाता है.
देश में मोबाइल हैंडसेट बनाने वाली अधिकतर कंपनियों की मांग रही है कि Google उन्हें 'bare Android version' उपलब्ध कराए और इसकी जरूरत Mobile Application Distribution Agreement को साइन करने के लिए पड़े. अब इस रिपोर्ट के आधार पर अगर CCI गूगल को इन सबके लिए जिम्मेदार पाता है तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है. वहीं उसे इस तरह की गतिविधियों को रोकने का आदेश भी दिया जा सकता है. CCI बाजार में प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने और एकाधिकार को रोकने के लिए काम करने वाली नियामक संस्था है.