राज्य कर्मचारी बीमा निगम (ईएसआईसी) की मेडिकल स्कीम का दायरा बढ़ाकर 30 हजार रुपये वेतन तक करने की तैयारी है। फिलहाल 21 हजार रुपये वेतन पाने वाले कर्मचारी ही इसमें आते हैं। नया प्रस्ताव ईएसआईसी बोर्ड की बैठक में लाया जाएगा। मंजूरी के बाद इसे केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा। ईएसआईसी बोर्ड के सदस्य हरभजन सिंह ने आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान को बताया कि सदस्यों ने पहले ही केन्द्रीय श्रम मंत्रालय को सीलिंग बढ़ाने का प्रस्ताव दे दिया है। इस मेडिकल स्कीम से कोरोना काल में कर्मचारियों को खासा फायदा हुआ है। वेतन सीमा बढ़ने से देश में और 20-25 फीसदी कर्मचारी इस दायरे में आ जाएंगे। ईएसआईसी बोर्ड की बैठक सितम्बर में प्रस्तावित है। इसी में प्रस्ताव रखा जाएगा। वेतन सीमा बढ़ने से ईएसआईसी का फंड बढ़ेगा। साथ ही कर्मचारियों और उनके परिवारों को बेहतर इलाज भी मिल सकेगा।
बोर्ड सदस्य के अनुसार, इस समय ईएसआईसी योजना के सदस्य के वेतन से 0.75 फीसदी तो नियोक्ता से 3.25 फीसदी अंश लिया जाता है। पहले यह अंशदान 6.5 फीसदी था। देश में 6 करोड़ कर्मचारी इसके दायरे में हैं। यूपी में 22 लाख कामगारों ईएसआईसी मेडिकल स्कीम का लाभ मिलता है। इस समय ईएसआईसी बीमा धारक व्यक्ति की मृत्यु या शारीरिक अशक्तता की स्थिति में उसके पति/पत्नी एवं विधवा मां को जीवन पर्यंत और बच्चों को 25 साल तक की उम्र तक उस कर्मचारी के औसत दैनिक वेतन के 90 प्रतिशत हिस्से के बराबर पेंशन दिया जाता है। कर्मचारी की बेटी होने की स्थिति में उसे उसकी शादी तक यह लाभ दिया जाता है।
ईएसआईसी योजना के तहत बीमा धारक या बीमित व्यक्ति के परिवार के सभी आश्रित सदस्य, जो ईएसआईसी के ऑनलाइन पोर्टल में कोविड बीमारी के निदान और इस रोग के कारण बाद में मौत से पहले पंजीकृत हैं, वे भी काम के दौरान मरने वाले बीमित व्यक्तियों के आश्रितों को प्राप्त होने वाले लाभ और इसे समान स्तर पर ही हासिल करने के हकदार हैं। इसके लिए दो शर्तें पूरी करनी होंगी। पहली कि आईपी को ईएसआईसी ऑनलाइन पोर्टल पर कोविड रोग के निदान और इसके चलते होने वाली मौत से कम से कम तीन महीने पहले पंजीकृत होना चाहिए। दूसरी कि बीमित व्यक्ति निश्चित तौर पर वेतन के लिए नियोजित होना चाहिए और मृतक बीमित व्यक्ति के संदर्भ में कोविड रोग का पता चलने, जिससे मौत हुई हो, ठीक पूर्ववर्ती एक साल के दौरान कम से कम 78 दिन का अशंदान होना चाहिए।
बीमित व्यक्ति, जो पात्रता की शर्तों को पूरा करते हैं और कोविड बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गई है, उनके आश्रित अपने जीवन के दौरान बीमित व्यक्ति के औसत दैनिक वेतन का 90 फीसदी मासिक भुगतान प्राप्त करने के हकदार होंगे। यह योजना 24 मार्च, 2020 से दो वर्ष की अवधि के लिए प्रभावी होगी। ईपीएफओ की कर्मचारी जमा सहबद्ध बीमा योजना (ईडीएलआई) के तहत इस योजना के सदस्य की मौत होने पर उनके परिवार के सभी जीवित आश्रित सदस्य ईडीएलआई के लाभों को हासिल करने के योग्य होंगे।
वर्तमान में इस योजना के तहत, कर्मचारी की मौत के मामले में दिए गए लाभों का विस्तार किया गया है, अब ग्रेच्युटी के भुगतान के लिए न्यूनतम सेवा की जरूरत नहीं है, पारिवारिक पेंशन का भुगतान ईपीएफ और एमपी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार किया जा रहा है, कर्मचारी के बीमार होने और कार्यालय न आने की स्थिति में साल में 91 दिनों के लिए बीमारी लाभ के रूप में कुल मजदूरी का 70 फीसदी का भुगतान किया जाता है।
मृतक कर्मचारी के परिजनों को मिलने वाली अधिकतम लाभ राशि को छह लाख से बढ़ाकर सात लाख कर दिया गया है। मृतक कर्मचारियों के पात्र परिवार के सदस्यों को 2.5 लाख रुपये का न्यूनतम आश्वासन लाभ मिलेगा, जो अपनी मौत से पहले एक या अधिक प्रतिष्ठानों में 12 महीने की निरंतर अवधि के लिए सदस्य थे। मौजूदा प्रावधान में एक प्रतिष्ठान में 12 महीने तक लगातार रोजगार का प्रावधान है।