व्यापार
इंडियन बैंकिंग सेक्टर के लिए आई खुशखबरी, Moodys ने आउटलुक अपग्रेड किया, जाने
Bhumika Sahu
19 Oct 2021 7:27 AM GMT
x
मूडीज ने कहा कि कॉर्पोरेट लोन की क्वॉलिटी में सुधार आया है. इससे पता चलता है कि बैंकिंग सेक्टर की तरफ से मजबूत कदम उठाए गए हैं. हालांकि, रिटेल लोन की क्वॉलिटी में गिरावट आई है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मूडीज इन्वेस्टर्स (Moody's Investors) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में इंडियन बैंकिंग सेक्टर के लिए आउटलुक को अपग्रेड किया है. उसने बैंकिंग सेक्टर के लिए आउटलुक को निगेटिव से अपग्रेड कर स्टेबल कर दिया है. उसका अनुमान है कि भारत की अर्थव्यवस्था में अगले 12-18 महीने तक सुधार जारी रहेगा. चालू वित्त वर्ष (2021-22) के लिए उसने ग्रोथ रेट का अनुमान 9.3 फीसदी रखा है. वित्त वर्ष 2022-23 के लिए ग्रोथ रेट का अनुमान 7.9 फीसदी रखा गया है.
मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि आर्थिक गतिविधियों में सुधार होने से बैंकिंग सेक्टर के लिए क्रेडिट में सुधार होगा. उसका अनुमान है कि बैंकिंग क्रेडिट ग्रोथ रेट 10-13 फीसदी सालान होगा. कमजोर कॉर्पोरेट फाइनेंस और फाइनेंशियल कंपनीज की तरफ से फंडिंग में कमी के कारण इस सेक्टर पर बुरा असर हुआ है. हालांकि, स्थिति में अब सुधार आया है. इंडिया बैंकिंग सिस्टम आउटलुक रिपोर्ट पेश करते हुए उसने कहा कि कोरोना महामारी के कारण असेट क्वॉलिटी में गिरावट आई है. हालांकि, ऑपरेटिंग एनवायरनमेंट में सुधार के कारण असेट क्वॉलिटी में सुधार आया है.
बैंकों ने मजबूत कदम उठाएं हैं
रिपोर्ट में कहा गया है कि कॉर्पोरेट लोन की क्वॉलिटी में सुधार आया है. इससे पता चलता है कि बैंकिंग सेक्टर की तरफ से मजबूत कदम उठाए गए हैं. बैड लोन को कैरी फॉरवर्ड करने की जगह प्रोविजनिंग पर जोर दिया गया है. हालांकि, रिटेल लोन की क्वॉलिटी में गिरावट आई है. राहत वाली बात ये है कि इसका योगदान कम है. महामारी के कारण जितने बड़े पैमाने पर छंटनी की उम्मीद की जा रही थी, स्थिति उतनी भयानक नहीं है. ऐसे में रिटेल लोन का छोटा हिस्सा बिगड़ा है.
पैसा जुटाने की क्षमता में सुधार
पब्लिक सेक्टर बैंकों को लेकर इसका कहना है कि मार्केट से पैसा इकट्ठा करने की क्षमता में सुधार हुआ है. इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि बैंकों ने सरकार पर अपनी निर्भरता घटाई है. आने वाले दिनों में बैंकों के प्रॉफिट स्टेबल रहने का अनुमान लगाया गया है.
इंट्रेस्ट रेट बढ़ने पर क्या होगा?
अगर इंट्रेस्ट रेट में बढ़तरी होती है तो नेट इंट्रेस्ट मार्जिन में भी बढ़ोतरी होगी. बैंकों के पास बड़ी मात्रा में सरकारी सिक्यॉरिटीज है. ऐसे में जब इंट्रेस्ट बढ़ेगा तो बोझ बढ़ेगा. लगातार आठवीं बार रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. फिलहाल इसकी संभावना नहीं है. हालांकि, बढ़ती महंगाई दर के कारण रिजर्व बैंक पर दबाव बढ़ रहा है.
Next Story