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कोरोना के कारण बैंकिंग सेक्टर पर बैड लोन का बोझ काफी बढ़ गया है, लेकिन
कोरोना के कारण बैंकिंग सेक्टर पर बैड लोन का बोझ काफी बढ़ गया है, लेकिन सरकार और रिजर्व बैंक की तरफ से बैंकों की वित्तीय हालत में सुधार के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इसका असर भी अब दिखाई देने लगा है. इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने भारत के समूचे बैंकिंग क्षेत्र के परिदृश्य (India Ratings outlook on overall banking sector) को वित्त वर्ष 2021-22 के लिए नकारात्मक से स्थिर कर दिया है. हालांकि, रेटिंग एजेंसी का मानना है कि आगे चलकर खुदरा ऋण खंड में दबाव बढ़ सकता है.
इंडिया रेटिंग्स ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के परिदृश्य को नकारात्मक से स्थिर (Negative outlook to stable) कर दिया है. वहीं निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए परिदृश्य को पहले की स्थिर (Stable outlook) कैटिगरी में कायम रखा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकिंग प्रणाली में कुल दबाव यानी सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (जीएनपीए+पुनगर्ठित ऋण) बढ़कर 30 प्रतिशत पर पहुंच सकता है. 2020-21 की दूसरी छमाही में खुदरा ऋण खंड में इसमें 1.7 गुना की वृद्धि हो सकती है. एजेंसी के निदेशक (वित्तीय संस्थान) जिंदल हरिया ने कहा कि पिछले नौ माह के दौरान बैंकों को अपनी पुरानी दबाव वाली परिसंपत्तियों के लिए प्रावधान को बढ़ाने का मौका मिला. ये दबाव वाली परिसंपत्तियां महामारी से पहले की थीं.
उन्होंने कहा कि हमारा अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक इन NPA पर प्रावधान बढ़कर 75 से 80 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा. इससे बैंकों को कोविड के दबाव को झेलने की गुंजाइश मिलेगी. एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष के लिए ऋण की वृद्धि के अनुमान को 1.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया गया है. अगले वित्त वर्ष 2021-22 के लिए इसे 8.9 प्रतिशत किया गया है.
Gulabi
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