व्यापार
स्टार्टअप के लिए उच्चतम बाजार पूँजीकरण से अधिक महत्वपूर्ण है सुशासन: उद्योग जगत
jantaserishta.com
20 March 2024 5:42 AM GMT
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नई दिल्ली: बायजूज जैसी कुछ भारतीय डिजिटल कंपनियाँ, जिनकी वैल्यूएशन एक समय 22 अरब डॉलर थी, कॉरपोरेट गवर्नेंस के मुद्दों में उलझ गई हैं। उद्योग के शीर्ष नेताओं का कहना है कि उच्चतम बाजार पूँजकरण पर पहुँचने की तुलना में ईमानदारी और सुशासन के साथ एक साफ-सुथरी कंपनी चलाना अधिक महत्वपूर्ण है।
अनुभवी निवेशक और इन्फो एज के संस्थापक संजीव बिखचंदानी ने फिनटेक क्षेत्र की प्रमुख कंपनी क्रेड के संस्थापक कुणाल शाह के साथ बातचीत में कहा कि कंपनी के नेतृत्वकर्ता की भूमिका स्टॉक बेचने की नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करने की है कि जब कोई और अपना स्टॉक बेचना चाहता है, तो पर्याप्त खरीदार हों।
उन्होंने "सीआरईडी क्यूरियस" के नवीनतम एपिसोड में शाह से कहा, "एक नेता को सभी शेयरधारकों के लिए कंपनी बनाने की ज़रूरत होती है, और यह सुनिश्चित करना होता है कि हर कोई अमीर हो, न कि केवल खुद।"
शाह ने कहा कि संस्थापकों को सह-संस्थापकों, सहकर्मियों और शेयरधारकों से बात कर विश्वास बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “विश्वास के सिद्धांत सत्यनिष्ठा, निरंतरता, सक्षमता, परोपकार हैं; सभी की मौजूदगी विश्वास की गारंटी नहीं देती, लेकिन किसी की अनुपस्थिति अविश्वास पैदा करती है।''
उनके मुताबिक, एक व्यक्ति की गलती पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर असर डालती है। उद्योग के दिग्गजों ने तर्क दिया, “10 वर्षों में कई अधिक लाभदायक और बड़ी भारतीय इंटरनेट कंपनियाँ होंगी। हम सभी पारिस्थितिकी तंत्र के भागीदार हैं और क्षमता, निर्णय, व्यवहार की हर त्रुटि हम सभी को प्रभावित करती है।
"ईमानदार कार्यप्रणाली और सुशासन के साथ एक साफ-सुथरी कंपनी चलाना उच्चतम बाजार पूँजीकरण से भी अधिक महत्वपूर्ण है।" भीकचंदानी ने संस्थापकों को कंपनी को केवल तभी सार्वजनिक करने की सलाह दी जब मुनाफा इसका समर्थन करने के लिए पर्याप्त हों। वहीं, शाह ने सुझाव दिया कि कंपनियों को केवल तभी सार्वजनिक होना चाहिए जब वे एक सार्वजनिक कंपनी की तरह आठ तिमाहियों को चला चुकी हों।
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