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महंगाई के अच्छे दिन: मध्यम वर्ग को झटका, तेल 50%, ग्रॉसरी 40% महंगा
jantaserishta.com
11 Jun 2021 10:22 AM GMT
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कोरोना महामारी से वैसे ही परेशान मध्यम वर्ग के लिए महंगाई नई मुसीबत बनकर आई है. रोजमर्रा के इस्तेमाल होने वाले ग्रॉसरी आइटम यानी किराने के सामान के दाम में एक साल में जहां 40 फीसदी की बढ़त हुई है. वहीं खाद्य तेलों के दाम 50 फीसदी तक बढ़ गए हैं.
रोजमर्रा की जरूरत के सभी फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) की बात करें तो पिछले एक साल में इनके दाम में करीब 20 फीसदी की बढ़त हुई है. खासकर खाद्य तेलों की महंगाई ने हैरान किया है, क्योंकि पिछले एक साल में इनके दाम डेढ़ गुना बढ़ गए हैं.
उदाहरण के लिए आज Fortune ब्रैंड का सरसों तेल पाउच करीब 185 रुपये लीटर बिक रहा है, जबकि पिछले साल अप्रैल में इसकी कीमत सिर्फ 135 रुपये लीटर थी. इसी तरह रुचि गोल्ड तेल के एक लीटर पाउच की कीमत पिछले साल अप्रैल में 129 रुपये थी, लेकिन आज यह 170 रुपये लीटर बिक रहा है.
इस दौरान चीनी, चावल और दाल की कीमतें भी काफी बढ़ी हैं. पिछले साल 81 रुपये किलो बिक रहा तूर यानी अरहर दाल आज 107 रुपये किलो बिक रहा है. इसी तरह चायपत्ती के दाम में भी 15 से 20 फीसदी की बढ़त हुई है.
इस दौरान आटा की कीमत लगभग स्थिर रही है, लेकिन बिस्किट के दाम काफी बढ़ गए हैं. Shop X के फाउंडर एवं सीईओ अमित शर्मा बताते हैं, 'जिन चीजों के दाम में मॉडरेट संयत बढ़त हुई है उनमें चावल (7 फीसदी), साबुन (15 फीसदी), डिटर्जेंट (10 फीसदी), फ्लोर क्लीनर (5 फीसदी), चीनी (5 फीसदी) शामिल हैं. सबसे बुरा असर तेल की कीमतों पर हुआ है जिनके दाम एक साल में 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ गए हैं.'
एक साल के दौरान लाइफबॉय साबुन की 125 ग्राम की बट्टी 22 से बढ़कर 27 रुपये तक पहुंच गई है. इसी तरह Dove साबुन की बट्टी 123 रुपये से बढ़कर 142 रुपये हो चुकी है. दूसरी तरफ, सर्फ एक्सेल का एक किलो का पैक 120 रुपये से बढ़कर 128 रुपये का हो चुका है.
कई जगह कंपनियों ने ऐसी भी जुगत लगाई है कि अगर किसी सामान का दाम नहीं बढ़ाया तो उसका वजन यानी क्वांटिटी कम कर दी. उदारहण के लिए मैगी नूडल्स की कीमत में कोई बढ़त नहीं की गई है, लेकिन इसकी क्वांटिटी कम कर दी गई है. नेस्ले ने मैगी के पैकेट का वजन 70 ग्राम से घटाकर 60 ग्राम कर दिया है.
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