व्यापार

महंगाई के अच्छे दिन आए, किराना के सामानों में हाय-तोबा

Admin2
12 Jun 2021 5:29 AM GMT
महंगाई के अच्छे दिन आए, किराना के सामानों में हाय-तोबा
x

आपदा को अवसर बनाना देश को महंगा पड़ेगा

छोटे से लेकर बड़े दुकानदारों ने माल की कमी देखते हुए अवसर का लाभ लिया जिससे किराना सामानों में एवं कॉस्मेटिक आयटमों में भारी व बेताशा वृद्धि हुई

छोटे और मंझोले घरेलु सामान बनाने का उद्योग भी संकट के समय मंहगाई बढ़ाने के लिए एक कारण बने

पेकेट बंद फूड प्रोडक्ट की मंहगाई के चलते कंपनियों ने माल का वजन घटाया

पप्पू फरिश्ता

रायपुर। विगत 6 महीनों में आपदा को अवसर बनाकर कई तरह के व्यापार करने वालों ने भारी मात्रा में लूट करने के अनेकों हथकंडे अपनाए है। जैसे खाने-पीने के पैकिंग मटेरियल के रेट को ही बढ़ाया गया। लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि कंपनी में न माल ज्यादा है न ताजा है, पैकिंग पेपर बदल कर ही रेट को बदला जा रहा है। अधिकांश लोग अपनी जरूरतमंद चीज़े लेते है जैसे आलू, चीज़, बटर, वेफर, कुरकुरे जैसे चीज बेचने वाली कंपनियों ने 5 रुपए मूल्य में बिकने वाले पैकेट के मूल्य को तो नहीं बढ़ाया लेकिन उसमें 5 ग्राम से 10 ग्राम वजन की कमी कर दी है। सेविंग ब्लेड हो या डिओड्रेंट हो या कोई भी कॉसमेटिक प्रोडक्ट कमोबेश सभी में 25 से 50 प्रतिशत रेट कोरोनाकाल की महामारी के अवसर पर बढ़ गए। आम आदमी के लिए कोरोनाकाल की मंदी पर बुरा असर पड़ रहा है। एक तो पैसों की आवक है ही नहीं और जो पैसे घर के जो बचे हुए है उससे घर का राशन भी पूरा नहीं आ पा रहा है, लगभग-लगभग दो ढाई गुना हर प्रकार के किराना सामानों का मूल्य बढ़ गया है। बढ़ती महंगाई को अवसर मानकर भ्रष्टाचार करने वाले कई दुकानदारों ने अपनी इस दुकानदारी को और आपदा के समय को अवसर में तब्दील कर दिया। नतीजा यह हुआ की बेलगाम महंगाई जमीन से आसमान छूते गई। दाम बढ़ते चले गए अच्छे दिन तो आए नहीं लेकिन अच्छी महंगाई जरूर आ गई। पूरे हिंदुस्तान में खाद्य तेलों की हाहाकार मची हुई है, अभी तक केंद्र सरकार ने खाद्य-तेलों की कीमतों पर नियंत्रण के लिए कोई कदम नहीं उठाया है। इसका परिणाम यह हुआ कि जो जितने में आया उतना कीमत वसूल रहा है। अपना कंपनी के ब्रांड अनुसार रेट बढ़ा को दोगुना करते जा रहे है। केंद्र सरकार की गलत नीतिओं का परिणाम देश के आम जनता को महंगाई से दो-चार होना पड़ रहा है। सरकार पाकिस्तान और अफगानिस्तान से ड्राई फूड नहीं खरीद ने का पॉलिसी बनाया है लेकिन वही माल दुबाई के रास्ते अपने कुछ माफीया के जरिए खरीदा जा रहा है । फिर दुबई से भारत आता है। ड्राई फूड के भाव और इसके पीछे छुपी कमाई माफियाओं के हाथ में सीधे जा रही है। अफगानिस्तान से माल भारत नहीं आने के कारण ड्राई फूड 30 से 35 फीसदी महंगा हो गया है। अफगानिस्तान से चलने वाला छुहारा अब दुबई होकर आता है, जिस कारण 20 से 25 फीसदी भाव बढ़ गया। सूखे ड्राई फूड सभी प्रकार के पाकिस्तान से ना आकर दुबई से आ रहे हैं जिसके परिणाम स्वरूप सभी सुखी ड्राई फ़ूड के कीमतों में भारी इजाफा हुआ है। दिन ब दिन दाम बढ़ रहे है और इस सबके पीछे कोई एक माफिया है जो दुबई में बैठकर भारत में सभी प्रकार के सूखे ड्राई फूड्स का व्यापार कर रहा है।

कोरोना महामारी से वैसे ही परेशान मध्यम वर्ग के लिए महंगाई नई मुसीबत बनकर आई है, रोजमर्रा के इस्तेमाल होने वाले ग्रॉसरी आइटम यानी किराने के सामान के दाम में एक साल में जहां 40 फीसदी की बढ़त हुई है वहीं खाद्य तेलों के दाम 50 फीसदी तक बढ़ गए हैं। रोजमर्रा की जरूरत के सभी फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) की बात करें तो पिछले एक साल में इनके दाम में करीब 20 फीसदी की बढ़त हुई है। खासकर खाद्य तेलों की महंगाई ने हैरान किया है, क्योंकि पिछले एक साल में इनके दाम डेढ़ गुना बढ़ गए हैं।

उदाहरण के लिए आज फार्चून ब्रैंड का सरसों तेल पाउच करीब 185 रुपये लीटर बिक रहा है, जबकि पिछले साल अप्रैल में इसकी कीमत सिर्फ 135 रुपये लीटर थी। इसी तरह रुचि गोल्ड तेल के एक लीटर पाउच की कीमत पिछले साल अप्रैल में 129 रुपये थी, लेकिन आज यह 170 रुपये लीटर बिक रहा है।

इस दौरान चीनी, चावल और दाल की कीमतें भी काफी बढ़ी हैं। पिछले साल 81 रुपये किलो बिक रहा अरहर दाल आज 107 रुपये किलो बिक रहा है। इसी तरह चायपत्ती के दाम में भी 15 से 20 फीसदी की बढ़त हुई है। इस दौरान आटा की कीमत लगभग स्थिर रही है, लेकिन बिस्किट के दाम काफी बढ़ गए हैं. शॉप एक्स के फाउंडर एवं सीईओ अमित शर्मा बताते हैं, 'जिन चीजों के दाम में मॉडरेट संयत बढ़त हुई है उनमें चावल (7 फीसदी), साबुन (15 फीसदी), डिटर्जेंट (10 फीसदी), फ्लोर क्लीनर (5 फीसदी), चीनी (5 फीसदी) शामिल हैं। सबसे बुरा असर तेल की कीमतों पर हुआ है जिनके दाम एक साल में 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ गए हैं। एक साल के दौरान लाइफबॉय साबुन की 125 ग्राम की बट्टी 22 से बढ़कर 27 रुपये तक पहुंच गई है। इसी तरह डव साबुन की बट्टी 123 रुपये से बढ़कर 142 रुपये हो चुकी है। दूसरी तरफ सर्फ एक्सेल का एक किलो का पैक 120 रुपये से बढ़कर 128 रुपये का हो चुका है। कई जगह कंपनियों ने ऐसी भी जुगाड़ लगाई है कि अगर किसी सामान का दाम नहीं बढ़ाया तो उसका वजन यानी क्वांटिटी कम कर दी। उदारहण के लिए मैगी नूडल्स की कीमत में कोई बढ़त नहीं की गई है, लेकिन इसकी क्वांटिटी कम कर दी गई है। नेस्ले ने मैगी के पैकेट का वजन 70 ग्राम से घटाकर 60 ग्राम कर दिया है।

Next Story