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महंगा हुआ सोना, चांदी की कीमत में भी उछाल, जानें क्या हैं दाम

Tara Tandi
8 Oct 2020 11:47 AM GMT
महंगा हुआ सोना, चांदी की कीमत में भी उछाल, जानें क्या हैं दाम
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श्विक बाजारों से प्रभावित होकर आज राष्ट्रीय राजधानी में सोने की कीमत 82 रुपये बढ़कर 51,153 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| वैश्विक बाजारों से प्रभावित होकर आज राष्ट्रीय राजधानी में सोने की कीमत 82 रुपये बढ़कर 51,153 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई। वहीं अगर चांदी की बात करें, तो एचडीएफसी सिक्योरिटीज के अनुसार, आज चांदी 1,074 रुपये बढ़कर 62,159 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई।

इस संदर्भ में एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (कमोडिटीज) तपन पटेल ने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय सोने में आई बढ़त से दिल्ली में 24 कैरेट के सोने का दाम 82 रुपये महंगा हुआ।' अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना 1,891 डॉलर प्रति औंस और चांदी 24 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गई।

रुपया नौ पैसे मजबूत होकर 73.24 प्रति डॉलर पर बंद

घरेलू शेयर बाजारों के सकारात्मक रहने तथा अमेरिकी मुद्रा की नरमी के कारण आज अंतरबैंकिंग मुद्रा बाजार में रुपया नौ पैसे मजबूत होकर 73.24 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान रुपया सीमित दायरे में रहा। रुपया ने मामूली तेजी के साथ 73.29 प्रति डॉलर पर कारोबार की शुरुआत की। बाद में इसने और बढ़त हासिल की। इस बीच, छह प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं के बास्केट में डॉलर का सूचकांक 0.05 फीसदी गिरकर 93.58 पर रहा।

पिछले सत्र में इतना था दाम

बुधवार को घरेलू बाजार में सोने की कीमत में गिरावट आई थी, वहीं चांदी का दाम बढ़ा था। राष्ट्रीय राजधानी में सोने की कीमत 694 रुपये घटकर 51,215 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गई थी और चांदी चांदी का भाव 126 रुपये बढ़कर 63,427 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में, सोना 1,892 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था और चांदी 23.73 डॉलर प्रति औंस पर सपाट थी।

त्योहारी सीजन में बढ़ेगी मांग

सोना 2020 के पहले आठ महीनों में 30 फीसदी बढ़ा है, लेकिन सितंबर में डॉलर की बढ़त के साथ गति में कमी आई। विश्लेषकों को उम्मीद है कि अमेरिकी डॉलर और सामान्य बाजार जोखिम धारणा में तेजी के आधार पर सोने की कीमत में गिरावट बनी रहेगी। विश्लेषकों के उम्मीद जताई कि भारत में सोने की मांग त्योहारी सीजन में बढ़ेगी। सोना व्यापक प्रोत्साहन उपायों से प्रभावित होता है क्योंकि इसे व्यापक रूप से मुद्रास्फीति और मुद्रा में आई गिरावट के खिलाफ बचाव के रूप में देखा जाता है।

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