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सोना और चांदी के भाव में लगातार उतार चढ़ाव, जानें सर्राफा बाजार का रेट

Gulabi
22 Nov 2020 10:47 AM GMT
सोना और चांदी के भाव में लगातार उतार चढ़ाव, जानें सर्राफा बाजार का रेट
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इस सप्ताह MCX पर डिलिवरी वाले सोने में तेजी देखी गई।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इस सप्ताह MCX पर डिलिवरी वाले सोने में तेजी देखी गई। 4 दिसंबर डिलिवरी वाला सोना 268 रुपये की तेजी के साथ 50260 के स्तर पर बंद हुआ। गुरुवार को यह 49992 के स्तर पर बंद हुआ था। फरवरी डिलिवरी वाला गोल्ड 256 रुपये की तेजी के साथ 50268 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं अप्रैल 2021 डिलिवरी वाला सोना 260 रुपये की तेजी के साथ 50290 के स्तर पर बंद हुआ था।

चांदी डिलिवरी में तेजी

चांदी डिलिवरी में भी इस सप्ताह काफी तेजी दर्ज की गई। दिसंबर डिलिवरी वाली चांदी इस सप्ताह 750 रुपये की गिरावट के साथ 62260 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर बंद हुई। उसी तरहह मार्च 2021 डिलिवरी वाली चांदी 733 रुपये की गिरावट के साथ 64016 के स्तर पर बंद हुई।

इंटरनैशनल मार्केट में भी तेजी

इंटरनैशनल मार्केट में दिसंबर डिलिवरी वाला सोना 8.25 डॉलर की तेजी के साथ 1869.75 डॉलर प्रति आउंस के स्तर पर बंद हुआ। उसी तरह दिसंबर डिलिवरी वाली चांदी 0.17 डॉलर की तेजी के साथ 24.22 डॉलर प्रति आउंस के स्तर पर बंद हुई।

सर्राफा बाजार का भाव

इस सप्ताह आखिरी दिन दिल्ली के सर्राफा बाजार में भी सोना 10 रुपये प्रति 10 ग्राम महंगा हुआ है। अब दिल्ली में 22 कैरेट गोल्ड 49,380 रुपये प्रति 10 ग्राम की कीमत पर मिल रहा है, जबकि 24 कैरेट गोल्ड के लिए आपको 53,860 रुपये प्रति 10 ग्राम के हिसाब से चुकाना होगा।वहीं चेन्नई में सोने की कीमत 50 रुपये प्रति 10 ग्राम के हिसाब से गिर गई है। यहां अगर आप 22 कैरेट सोना खरीदते हैं तो आपको 47,400 रुपये प्रति 10 ग्राम के हिसाब से चुकाने होंगे। अगर आप 24 कैरेट सोना खरीदते हैं तो आपको 51,780 रुपये प्रति 10 ग्राम के हिसाब से चुकाने होंगे।

मार्केट कैप 1 लाख करोड़ घटा

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सेंसेक्स की शीर्ष 10 में से पांच कंपनियों के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) में बीते सप्ताह सामूहिक रूप से 1,07,160 करोड़ रुपये की गिरावट आई। सबसे अधिक नुकसान में रिलायंस इंडस्ट्रीज रही। इस सप्ताह सेंसेक्स 43882 और निफ्टी 12859 के स्तर पर बंद हुआ।विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने में अब तक भारतीय बाजारों में 49,553 करोड़ रुपये डाले हैं। उच्च तरलता की स्थिति तथा अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों को लेकर असमंजस दूर होने के बाद वैश्विक संकेतक बेहतर हुए हैं, जिससे भारतीय बाजारों में एफपीआई का निवेश बढ़ा है।

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