
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क्या RBI के 2000 रुपये के नोट को बंद करने की घोषणा से आपके FD रिटर्न पर असर पड़ सकता है? इस सवाल का जवाब ज्यादातर लोग 'नहीं' में ही देंगे। लेकिन जानकारों की इस पर अलग राय है। उनका मानना है कि इससे एफडी की ब्याज दर घटने की संभावना है। साथ ही आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में ब्याज दरों में यथास्थिति बनाए रखी जा सकती है, जो एफडी की दरों को घटाने या न बढ़ाने में एक अतिरिक्त कारक बन जाएगा।जानकारों का मानना है कि अगर उन्हें नई एफडी खुलवानी है तो एमपीसी की बैठक से पहले यह काम कर लेना चाहिए। टैक्स और निवेश विशेषज्ञ जितेंद्र सोलंकी ने कहा है कि 2000 रुपये के नोटों को बंद करने से बैंकों के पास नकदी बढ़ गई है. सरल भाषा में कहें तो बैंकों के पास अब कर्ज देने के लिए पर्याप्त पैसा है। इसलिए अब वह ऊंची दर पर एफडी की पेशकश कर लोगों को पैसा अपने पास रखने से बचेंगे। ऊपर से आरबीआई द्वारा ब्याज दरों पर ब्रेक लगाने के बाद अब रिटर्न रेट में बढ़ोतरी निकट भविष्य में नजर नहीं आ रही है.
एमपीसी की बैठक से पहले करा लें एफडी
एक अन्य निवेश विशेषज्ञ कार्तिक जावेरी भी उक्त बात से सहमत हैं और उनका कहना है कि अगर कोई एफडी कराना चाहता है तो एमपीसी की बैठक (6-8 जून तक) से पहले करा लें। उनका कहना है कि संभवत: अगली बैठक में एमपीसी ब्याज दरों को या तो फ्रीज कर देगी या घटा देगी। उन्होंने कहा कि यह बैंकों के लिए एक संकेत होगा। 2000 के नोटों की वापसी के साथ, बैंकों के पास जमा की गई बड़ी राशि और आरबीआई द्वारा रेपो रेट पर अंकुश, दोनों कारक मिलकर आने वाले कुछ समय के लिए एफडी की ब्याज दरों को नीचे खींच सकते हैं।
एसबीआई डेटा
2000 रुपये के नोटों की निकासी औपचारिक रूप से 23 मई से शुरू हुई थी। इसके एक हफ्ते बाद देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के प्रमुख दिनेश खारा ने इस संबंध में कुछ आंकड़े पेश किए। उन्होंने बताया था कि 2000 के कितने नोट बदले गए और कितने जमा हुए। हैरानी की बात यह थी कि एक हफ्ते के भीतर बैंक को 14,000 करोड़ रुपये के 2000 रुपये के नोट मिले। वहीं, सिर्फ 3,000 करोड़ रुपए के नोट बदले गए। यानी लोग बैंकों से 2000 के नोट बदलने के बजाय जमा कर रहे हैं. यही वजह है कि बैंकों के पास अब कर्ज देने के लिए पर्याप्त पैसा है.
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