सरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल को लेकर गंभीर है. पिछले दिनों सरकार ने ऐलान किया था कि वह पूरे देश में इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन का जाल बुनने के लिए प्राइवेट एंटिटीज को सरकारी जमीन उपलब्ध करवाएगी. यह कारोबार रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल पर आधारित होगा. रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी गुजरात के मुंद्रा में स्पेशल इकोनॉमिक जोन में रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर भी बनाएगी. इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में देश की दो बड़ी कॉर्पोरेट टाटा ग्रुप और मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज तेजी से अपना पैर पसार रही है. दोनों ग्रुप का जीरो कार्बन इमिशन को लेकर मेगा प्लान है. भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल का बाजार तेजी से फैल रहा है. अडाणी, अंबानी और टाटा ग्रुप जैसी कंपनियों की एंट्री के कारण यह बाजार काफी कॉम्पिटिटिव हो गया है.
कमर्शियल इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में टाटा का Ace ब्रांड और अशोक लीलैंड के Dost ब्रांड का राज है. दोनों के इलेक्ट्रिक मॉडल का क्रेज इसलिए बढ़ रहा है, क्योंकि ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट काफी कम होता है. इन वाहनों के लिए प्रति किलोमीटर कॉस्ट करीब 80 पैसे से 1 रुपए के बीच आता है, जबकि डीजल सेगमेंट के लिए यह कॉस्ट करीब 4 रुपए प्रति लीटर होता है. पिछले दिनों रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) की सब्सिडियरी रिलायंस न्यू एनर्जी सोलर (Reliance New Energy Solar) ने एडवांस केमिस्ट्री सेल (ACC) बैट्री के स्टोरेज कार्यक्रम के लिए 18100 करोड़ रुपए की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI Scheme) योजना के तहत निविदाएं जमा की. इस स्कीम के लिए 130 गीगावॉट प्रति घंटा क्षमता वाली कुल 10 निविदाएं मिली है. यह आवंटित की जाने वाली विनिर्माण क्षमता का दोगुना है.