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Global corporate tax
Global corporate tax: सालों तक चर्चा करने के बाद आखिरकार G7 देश टैक्स के मामले में एक ऐतिहासिक नतीजे पर पहुंचे हैं. सातों देशों के फाइनेंस मिनिस्टर ने मिलकर फैसला लिया है कि वे मिनिमम ग्लोबल कॉर्पोरेट टैक्स को लागू करेंगे. मिनिमम ग्लोबल कॉर्पोरेट टैक्स 15 फीसदी होगा. साथ में यह भी कहा गया है कि जिस देश में व्यापार किया जा रहा है, वहां टैक्स का भुगतान करना होगा. दरअसल दुनिया की दिग्गज कंपनियां नियमों को लेकर अपारदर्शिता का सालों से फायदा उठा रही हैं. इससे सरकारों को टैक्स का भारी नुकसान होता है.
रॉयटर्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन के फाइनेंस मिनिस्टर ऋषि सुनक ने मीडिया से कहा कि जी7 देशों के वित्त मंत्रियों ने मिलकर यह फैसला लिया है. नया टैक्स सिस्टम ग्लोबल डिजिटल एज के हिसाब से फिट बैठता है. पिछले कुछ दशकों में कॉर्पोरेट को अट्रैक्ट करने के लिए देशों ने भारी-भरकम छूट की परंपरा शुरू की. इससे निवेशक और कंपनियां आकर्षित तो जरूर हुईं लेकिन सरकारी खजाने को बहुत नुकसान हुआ है.
कोरोना के कारण खजाना खाली हो रहा है
कोरोना के कारण पूरी दुनिया की इकोनॉमी सुस्त हुई है. सरकारी खजाने खाली हो गए हैं जिसे जल्द से जल्द भरने की जरूरत है. ऐसे में जी7 देशों ने मिलकर मिनिमम ग्लोबल कॉर्पोरेट टैक्स को लागू करने का फैसला किया है. जी7 देशों में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके और अमेरिका जैसे देश शामिल हैं.
बाइडेन ने फिर से इस मुद्दे को हवा दी है
अमीर देश जैसे अमेरिका में गूगल, फेसबुक, एमेजॉन जैसी कंपनियां ना के बराबर टैक्स जमा करती हैं. हाल ही में जो बाइडेन प्रशासन ने 15 फीसदी के मिनिमम ग्लोबल कॉर्पोरेट टैक्स के मुद्दे को हवा दी है. यह रेट आयरलैंड जैसे देशों से ज्यादा है जबकि G7 देशों के मिनिमम स्तर से कम है.
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