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नई दिल्ली (आईएएनएस)| 'मेक इन इंडिया' उत्पादों पर उच्च कर देश भर में तस्करी और नकली उत्पादों की भारी मांग पैदा कर रहे हैं और लाखों छोटे और गरीब दुकानदारों को अपराधियों से निपटने और इस अवैध गतिविधि का हिस्सा बनने के लिए मजबूर कर रहे हैं। फेडरेशन ऑफ रिटेलर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफआरएआई) ने मंगलवार को यह बात कही। 42 खुदरा संघों की सदस्यता के साथ देश भर के लगभग 80 लाख सूक्ष्म, लघु और मध्यम खुदरा विक्रेताओं के एक प्रतिनिधि निकाय, एफआरएआई ने सरकार से उनके अवैध व्यापार को रोकने के लिए दैनिक उपभोग के सामानों पर उच्च करों को कम करने का आग्रह किया।
एफआरएआई के अध्यक्ष राम आसरे मिश्रा ने कहा, हमारे सदस्यों द्वारा बेचे जाने वाले दैनिक उपभोग के उत्पादों में विशेष रूप से तस्करी और नकली उत्पादों में खतरनाक वृद्धि हुई है। इस तरह के अवैध उत्पाद ग्रामीण बाजारों सहित पूरे देश में आसानी से उपलब्ध हैं और उनकी हिस्सेदारी बाजार का लगभग 25-30 प्रतिशत है।
एफआरएआई ने अपने 80 लाख खुदरा विक्रेताओं के हितों की रक्षा करने की अपील के साथ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक प्रतिनिधित्व दिया।
ये खुदरा विक्रेता बिस्कुट, शीतल पेय, मिनरल वाटर, कन्फेक्शनरी, सिगरेट जैसी दैनिक जरूरतों का सामान बेचकर अपनी आजीविका चलाते हैं।
छोटे रिटेलर की प्री-लॉकडाउन कमाई लगभग 6,000 - 12000 रुपये प्रति माह थी, जो मुश्किल से एक परिवार का पेट भर पाती है।
एफआरएआई के अनुसार थोड़ी बड़ी दुकानें या मध्यम खुदरा विक्रेता प्रति दिन लगभग 400 रुपये से 500 रुपये कमाते हैं, जबकि सूक्ष्म खुदरा विक्रेता प्रतिदिन 200 रुपये से कम कमाते हैं।
मिश्रा ने कहा, हमारे सदस्य ज्यादातर अशिक्षित हैं और समाज के सबसे निचले आर्थिक तबके से ताल्लुक रखते हैं। उनमें से कई ने रोजगार के लिए सरकार पर निर्भर रहने के बजाय अपनी दुकानें चलाने के लिए पैसे उधार लिए हैं।
नकली गतिविधियों में शामिल तस्कर और अपराधी हमारे लाखों सदस्यों को अपने अवैध उत्पादों को बेचने के लिए वित्तीय, मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का कारण बनते हैं।
मीडिया रिपोटरें से पता चलता है कि भारत के बाहर स्थित चीनी कंपनियां और अन्य संदिग्ध बहुराष्ट्रीय कंपनियां इन आपराधिक और असामाजिक गतिविधियों के पीछे हैं।
चूंकि तस्करी किए गए और नकली उत्पाद पूरी तरह से करों से बचते हैं, इसलिए वे कानूनी रूप से उत्पादित वस्तुओं को आधी कीमत पर या यहां तक कि किसी विशेष वस्तु की कीमत के एक तिहाई पर बेचकर आसानी से बेच सकते हैं। एफआरएआई ने कहा कि इससे सरकार को हजारों करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है।
एफआरएआई के सचिव विनय कुमार ने कहा, हमारे सदस्य देश के कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं, लेकिन हमारे कुछ सदस्यों को भारी मांग के कारण तस्करी और नकली उत्पादों को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा है, क्योंकि वे कानूनी उत्पादों की तुलना में काफी सस्ते हैं।
एफआरएआई ने अपने सदस्यों को सलाह दी कि वे नकली या तस्करी वाले उत्पादों की बिक्री में संलग्न न हों।
--आईएएनएस
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Rani Sahu
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