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पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा- बड़े बदलाव से बॉन्ड मार्केट हो सकता है प्रभावित

Apurva Srivastav
14 March 2021 1:19 PM GMT
पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा- बड़े बदलाव से बॉन्ड मार्केट हो सकता है प्रभावित
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भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) धीरे-धीरे महामारी के झटके से बाहर निकल रही है. ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने चेताया है

भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) धीरे-धीरे महामारी के झटके से बाहर निकल रही है. ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने चेताया है कि देश के मौद्रिक नीति के ढांचे में किसी तरह के बड़े बदलावों से बांड बाजार प्रभावित हो सकता है. राजन ने रविवार को कहा कि मौजूदा व्यवस्था ने मुद्रास्फीति को काबू में रखने और वृद्धि को प्रोत्साहन देने में मदद की है. राजन ने कहा कि सरकार का 2024-25 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को 5,000 अरब डॉलर पर पहुंचाने का लक्ष्य आकांक्षी अधिक है. उन्होंने कहा कि यहां तक कि महामारी से पहले भी इस लक्ष्य को लेकर सावधानी से गणना नहीं की गई.

पूर्व गवर्नर ने कहा, मेरा मानना है कि मौद्रिक नीति प्रणाली ने मुद्रास्फीति को नीचे लाने में मदद की है. इसमें रिजर्व बैंक के लिए अर्थव्यवस्था को समर्थन देने की गुंजाइश भी है. यह सोचना भी मुश्किल है कि यदि यह ढांचा नहीं होता, तो हम कैसे इतना ऊंचा राजकोषीय घाटा झेल पाते.
मुद्रास्फीति के लक्ष्य को इसी महीने अधिसूचित किए जाने की उम्मीद
उनसे पूछा गया था कि क्या वह मौद्रिक नीति के तहत मुद्रास्फीति के दो से 6 फीसदी के लक्ष्य की समीक्षा के पक्ष में हैं. रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को 4 फीसदी (2 फीसदी ऊपर या नीचे) पर रखने का लक्ष्य दिया गया है. केंद्रीय बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) इस लक्ष्य को ध्यान में रखकर नीतिगत दरें तय करती है.

मौजूदा मध्यम अवधि का मुद्रास्फीति लक्ष्य अगस्त, 2016 में अधिसूचित किया गया था. यह इस साल 31 मार्च को समाप्त हो रहा है. अगले 5 साल के लिए मुद्रास्फीति के लक्ष्य को इसी महीने अधिसूचित किए जाने की उम्मीद है.
बॉन्ड मार्केट हो सकता है प्रभावित
इसी परिप्रेक्ष्य में राजन ने कहा, अगर हम इस ढांचे में बड़ा बदलाव करते हैं, तो इससे बॉन्ड बाजार के प्रभावित होने का जोखिम पैदा होगा. सरकार कोरोना वायरस से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए उल्लेखनीय रूप से ऊंचा कर्ज लेने की योजना बना रही है. ऐसे में कुछ हलकों से कुल वित्तीय सेहत को लेकर चिंता जताई जा रही है. बॉन्ड पर प्रतिफल भी इस समय ऊपर की ओर जा रहा है.

सरकार का रिकॉर्ड काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा
सुधार उपायों के बारे में राजन ने कहा कि 2021-22 के बजट में निजीकरण पर काफी जोर दिया गया है. उन्होंने कहा कि निजीकरण को लेकर सरकार का रिकॉर्ड काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है. उन्होंने कहा कि इस बार यह कैसे अलग होगा.
राजन ने कहा कि इस बार के बजट में काफी हद तक खर्च तथा प्राप्तियों को लेकर पारदर्शिता दिखती है. पहले के बजट में ऐसा नहीं दिखता था.
विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य

हालांकि, इसके साथ ही राजन ने कहा कि बजट में राजस्व जुटाने तथा वित्तीय क्षेत्र सुधारों को लेकर चीजें अधिक स्पष्ट नहीं हैं. सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों तथा वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी बिक्री के जरिये 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है. सरकार दो सरकारी बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी में भी हिस्सेदारी बिक्री करेगी.
राजन फिलहाल यूनिवर्सिटी ऑफ शिकॉगो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में प्रोफेसर हैं. उन्होंने कहा कि बजट में इस बात काफी कम उल्लेख है कि गरीबों और बेरोजगारों के लिए क्या किया जाएगा.

उन्होंने कहा, इसके अलावा शुल्कों में बढ़ोतरी की प्रक्रिया भी जारी है. ऐसे समय जबकि पश्चिम में भारी मांग की वजह से वैश्विक मांग बढ़ रही है, हमें निर्यात के लिए तैयारी करनी चाहिए. शुल्कों में बढ़ोतरी इसके लिए उचित तरीका नहीं है.
सरकारी बैंकों को औद्योगिक घरानों को बेचना होगी भारी गलती
दो बैंकों के निजीकरण के बारे में पूछे जाने पर राजन ने कहा कि इसका अधिक ब्योरा नहीं दिया गया है कि यह कैसे किया जाएगा. राजन ने कहा, बैंकों को औद्योगिक घरानों को बेचना भारी गलती होगी. उन्होंने कहा कि किसी अच्छे आकार के बैंक को विदेशी बैंक को बेचना भी राजनीतिक दृष्टि से व्यावहारिक नहीं होगा.

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने कहा कि संभवत: निजी क्षेत्र का एक बैंक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के अधिग्रहण की स्थिति है, लेकिन वह इस बात को लेकर निश्चित नहीं हैं कि वह ऐसी इच्छा जताएगा.
बरतनी होगी सावधनी
देश की मौजूदा वृहद आर्थिक स्थिति के बारे में राजन ने कहा कि जब अर्थव्यवस्था में 8 फीसदी की गिरावट आएगी तो ऐसे में लॉकडाउन हटने और साधारण बढ़ोतरी और दबी मांग की वजह से आगे वृद्धि के आंकड़े असाधारण रह सकते हैं. उन्होंने कहा, हम 2021-22 में निश्चित रूप से बड़ी ग्रोथ दर्ज करेंगे लेकिन हमें इसके मायने निकालने में सावधनी बरतनी होगी.


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