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भारत में बढ़ती महंगाई पर विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री हुए चिंतित, जाने बाते

Bhumika Sahu
23 July 2021 4:03 AM GMT
भारत में बढ़ती महंगाई पर विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री हुए चिंतित, जाने बाते
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भारत की थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति में हुए इजाफे से देश की मुश्किलें बढ़ सकती है. इस पर विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने चिंता जाहिर की है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने भारत की बढ़ती महंगाई दर पर चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति 30 साल के उच्च स्तर पर है, जिससे देश के लिए "बहुत खतरनाक" स्थिति पैदा हो गई है. हालांकि उन्होंने यह साफ किया कि इससे हाइपरइन्फ्लेशन का कोई जोखिम नहीं दिखता. ये बातें उन्होंने एशिया सोसाइटी, भारत द्वारा आयोजित एक आभासी कार्यक्रम में भाग लेते हुए कही.

बसु ने कहा "आम तौर पर थोक मूल्य मुद्रास्फीति खुदरा मूल्य मुद्रास्फीति में फैल जाती है, इसलिए यह भारत के लिए एक बहुत ही खतरनाक स्थिति है क्योंकि कीमतें काफी तेजी से बढ़ रही हैं. साल 2009 से 2012 के दौरान भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में कार्य करने वाले बसु ने 'पॉलिसीमेकर्स जर्नल: फ्रॉम न्यू डेल्ही टू वाशिंगटन डी.सी' नामक एक नई पुस्तक भी लिखी है. उन्होंने बताया कि मुद्रास्फीति की स्थिति बहुत जोखिम भरे मोड़ पर है. इसे नियंत्रण में लाने के लिए मौद्रिक नीति और राजकोषीय नीति को आपस में जोड़ने की जरूरत है.
बसु पने भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय के बीच एक बार फिर से बेहतर नीति को अपनाने का सुझाव दिया है. उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि भारत में हाइपरइन्फ्लेशन या ऐसा कुछ होने का कोई खतरा है, लेकिन महंें तगाई दर और बढ़ सकती है.
थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति जून में मामूली रूप से कम होकर 12.07 प्रतिशत पर आ गई क्योंकि कच्चे तेल और खाद्य पदार्थों की कीमतों में कुछ नरमी देखी गई, जबकि खुदरा मुद्रास्फीति जून में 6.26 प्रतिशत तक गिर गई, हालांकि यह रिजर्व बैंक के स्तर से ऊपर रही. भारत सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने भी बसु की बात पर सहमति जताई. उन्होंने कहा कि वह वास्तव में मुद्रास्फीति के बारे में पहले की तुलना में अधिक चिंतित हैं.


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