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यूक्रेन पर रूस के हमले (Russia Ukraine crisis) के कारण यह सप्ताह शेयर बाजार के लिए काफी उथल-पुथल भरा रहा. 24 फरवरी को शेयर मार्केट क्रैश कर गया
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | यूक्रेन पर रूस के हमले (Russia Ukraine crisis) के कारण यह सप्ताह शेयर बाजार के लिए काफी उथल-पुथल भरा रहा. 24 फरवरी को शेयर मार्केट क्रैश कर गया और सेंसेक्स 2700 अंकों से ज्यादा (4.72 फीसदी) फिसल गया. हालांकि, अगले दिन निवेशक बाजार में लौटे और सेंसेक्स में 1300 अंकों से ज्यादा का उछाल आया. बाजार क्रैश करने वाले दिन कच्चा तेल 105 डॉलर पर पहुंच गया था, जबकि सोना 51 हजार 500 के स्तर को पार कर गया. इन घटनाओं के बीच फेडरल रिजर्व पर महंगाई का बोझ लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में इंट्रेस्ट रेट बढ़ाने का दबाव ज्यादा है. बाजार में अनिश्चितता के बीच विदेशी निवेशक (Foreign Portfolio Investors) भारतीय बाजार से लगातार अपना निवेश घटा रहे हैं. यह लगातार पांचवां महीना है जब विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकाल रहे हैं.
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign Portfolio Investor) ने फरवरी में भारतीय बाजारों से 35,506 करोड़ रुपए की निकासी की है. यह लगातार पांचवां महीना है जबकि एफपीआई (FPI) भारतीय बाजार में बिकवाल रहे हैं. एफपीआई अक्टूबर, 2021 से लगातार भारतीय बाजारों से निकासी कर रहे हैं. फरवरी, 2022 में एफपीआई की निकासी मार्च, 2020 के बाद सबसे ऊंची रही है. उस समय एफपीआई ने भारतीय बाजारों से 1,18,203 करोड़ रुपए निकाले थे. फरवरी में विदेशी निवेशकों ने इक्विटी मार्केट से 31158 करोड़ और डेट मार्केट से 4467 करोड़ की निकासी की है. इस दौरान उन्होंने हाइब्रिड उत्पादों में 120 करोड़ रुपए डाले हैं.
फेडरल बैंक के इंट्रेस्ट रेट बढ़ाने की संभावना से सेंटिमेंट कमजोर
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक (प्रबंधक शोध) हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ''अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा प्रोत्साहन उपायों को वापस लेने और देर-सवेर ब्याज दरों में बढ़ोतरी की घोषणा के बाद से एफपीआई की निकासी तेज हुई है.'' उन्होंने कहा कि इसके अलावा रूस-यूक्रेन तनाव की वजह से भी एफपीआई सतर्कता का रुख अपना रहे हैं और भारत जैसे उभरते बाजारों से दूरी बना रहे हैं.
कच्चे तेल की कीमत और बॉन्ड यील्ड से पड़ता है फर्क
कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी शोध (खुदरा) प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा कि एफपीआई का रुख …डॉलर के मुकाबले रुपए के रुख, कच्चे तेल की कीमतों, अमेरिका में बॉन्ड पर प्रतिफल (Bond Yield) से तय होता. अमेरिका में 10 साल के बॉन्ड पर रिटर्न बढ़ने पर एफपीआई बॉन्ड बाजार में निवेश को तरजीह देते हैं. चौहान ने कहा कि फिलहाल ये सभी चीजें एफपीआई को प्रभावित कर रही हैं. ऐसे में एफपीआई आगे और निकासी कर सकते हैं.
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