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देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट
देश के विदेशी मुद्रा भंडार (foreign exchange reserve) में एक बार फिर गिरावट देखने को मिली है. रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 21 जनवरी को खत्म हुए सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 67 करोड़ डॉलर घटा है. हालांकि हफ्ते के दौरान देश के सोने के भंडार (Gold Reserve) के मूल्य में बढ़त देखने को मिली है. इससे पहले 14 जनवरी को खत्म हुए हफ्ते के दौरान भंडार में तेज बढ़त देखने को मिली फिलहाल देश का विदेशी मुद्रा भंडार अपने रिकॉर्ड उच्चतम स्तर से सिर्फ एक प्रतिशत नीचे है. हफ्ते के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार के 4 सेग्मेंट में से सोने को छोड़कर बाकी तीनो सेग्मेंट में गिरावट देखने को मिली है.
कहां पहुंचा देश का विदेशी मुद्रा भंडार
रिजर्व बैंक के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 21 जनवरी को खत्म हुए देश का विदेशी मुद्रा भंडार 67.8 करोड़ डॉलर की गिरावट के साथ 634.287 अरब डॉलर के स्तर पर आ गया. इससे पहले 14 जनवरी को खत्म हुए हफ्ते में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.22 अरब डॉलर की बढ़त के साथ 634.965 अरब डॉलर पर पहुंचा था. देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3 सितंबर को खत्म हुए हफ्ते में 642.453 अरब डॉलर के अपने अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचा था. फिलहाल भंडार इन स्तरो के करीब ही है और ऊपरी स्तरों से सिर्फ एक प्रतिशत ही घटा है. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार फिलहाल देश का विदेशी मुद्रा भंडार रुपये में 47 लाख करोड़ रुपये से ऊपर है.
सोने के भंडार में दर्ज हुई बढ़त
रिजर्व बैंक के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार हफ्ते के दौरान गोल्ड रिजर्व में बढ़त देखने को मिली है और एक हफ्ते में देश का स्वर्ण भंडार 56.7 करोड़ डॉलर की बढ़त के साथ 40.337 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है. गोल्ड रिजर्व में बढ़त के बावजूद मुद्रा भंडार में कमी फॉरेन करंसी एसेट्स में आई गिरावट की वजह से दर्ज हुई हफ्ते के दौरान एसेट्स 1.55 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 569.582 अरब डॉलर के स्तर पर आ गये. फॉरेन करंसी एसेट्स को डॉलर मूल्य में दर्शाया जाता है और डॉलर से अलग करंसी जैसे यूरो, पाउंड और येन के डॉलर में उतार-चढ़ाव को इसमें शामिल किया जाता है. एसडीआर और आईएमएफ के साथ देश की रिजर्व में भी इस हफ्ते गिरावट देखने को मिली है.
देश के रिजर्व में लगातार बढ़त दर्ज
आंकड़ों के अनुसार देश के रिजर्व में लगातार बढ़त देखने को मिली है. इस वित्त वर्ष में इसमें 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बढ़त देखने को मिली. वहीं इस दौरान फॉरेन करंसी एसेट्स 3.14 लाख करोड़ रुपये, गोल्ड रिजर्व 52 हजार करोड़ रुपये बढ़ चुका है. विदेशी मुद्रा भंडार का ऊंचे स्तरों पर होना किसी भी अर्थव्यवस्था के लिये काफी सकारात्मक संकेत है, पड़ोसी देश श्रीलंका के डिफॉल्ट होने की स्थिति इस लिये बन गई थी कि उसका विदेशी मुद्रा भंडार खत्म होने के करीब पहुंच गया था. यही स्थिति पाकिस्तान की भी है. इससे बचने के लिये दोनो देश ऊंची दरों पर कर्ज उठाने के लिये भी तैयार है. वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था को भंडार की वजह से अतिरिक्त सुरक्षा मिली है. साथ ही कोरोना महामारी के बीच इसी वजह से देश रेटिंग एजेंसियों का भरोसा भी जीतने में सफल रहा.
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