म्यूचुअल फंड कंपनी फ्रैंकलिन टेम्पलटन (Franklin Templeton) भारत से अपना कारोबार नहीं समेटेगी. कंपनी ने भारत छोड़ने की खबरों को खारिज करते हुए कहा कि वह मुश्किलों से घिरे अपने ब्रांड को दोबारा नए सिरे से खड़ा करेगी. फ्रैंकलिन टेम्पलटन के भारतीय यूनिट के अध्यक्ष अविनाश सतवालेकर ने अफवाहों को खारिज करते हुए कहा कि हम भारत छोड़कर नहीं जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारी ऐसी कोई योजना नहीं है. मैं यह साफतौर पर कह सकता हूं कि हम भारत छोड़कर नहीं जा रहे हैं. भारत से जाना मूर्खतापूर्ण कदम होगा.
मुनाफे में चल रहा ऑपरेशन
हालांकि, अविनाश सतवालेकर ने इस बात को स्वीकार किया फ्रैंकलिन टेम्पलटन की भारत से जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि जब से दूसरी कई कंपनियों ने भारत से अपना कारोबार समेटा है. उसके बाद से ही फ्रैंकलिन टेम्पलटन को लेकर भी ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं. उन्होंने बताया कि भारत में 26 साल से मौजूद कंपनी के पास 20 लाख निवेशकों की 56,000 करोड़ रुपये के प्रबंधन एसेट हैं और इनका ऑपरेशन मुनाफे में चल रहा है.
नए सिरे से करेगी शुरुआत
बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने कंपनी पर 5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. कंपनी ने अप्रैल 2020 में अपनी छह स्कीम को बंद कर दिया था. इन स्कीम्स में तीन लाख निवेशकों के कुल 25,000 करोड़ रुपये जमा थे. सतवालेकर ने कहा कि वो कंपनी के ब्रांड को नए सिरे से खड़ा करेंगे. इसके लिए सभी संबद्ध पक्षों से संपर्क साधा जाएगा. उन्होंने कहा कि कंपनी अगले 6-12 महीनों में नियमित रूप से प्रोडक्ट पेश करेगी.
सेबी ने दिए थे कड़े आदेश
फ्रैंकलिन टेम्पलटन म्यूचुअल फंड ने छह स्कीम को बंद करके कहा था कि उसके पास यूनिटधारकों को बांटने के लिए 231.13 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध है. फ्रैंकलिन टेंपलटन ने 23 अप्रैल 2020 में इन योजनाओं को बंद कर दिया था. इसके बाद कंपनी पर सेबी ने पांच करोड़ रुपये का फाइन लगाया था.
साथ ही उसे 22 महीने के दौरान इनवेस्टमेंट मैनजमेंट और एडवाइजरी सर्विसेज फीस के रूप में वसूली गई 450 करोड़ रुपये की राशि को लौटाने के आदेश दिए गए थे. सेबी ने कंपनी को नई डेट स्कीम को लॉन्च करने से बचने को कहा था. सेबी के आदेश को फ्रैंकलिन टेम्पलटन ने सिक्योरिटीज अपीली ट्रिब्यूनल में चुनौती दे रखी है.