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25 अगस्त को वित्त मंत्री की सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ बैठक, इकोनॉमी की सेहत का लेंगी जायजा

Renuka Sahu
17 Aug 2021 3:49 AM GMT
25 अगस्त को वित्त मंत्री की सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ बैठक, इकोनॉमी की सेहत का लेंगी जायजा
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फाइल फोटो 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 25 अगस्त को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों के साथ एक जरूरी बैठक करने वाली हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 25 अगस्त को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSB) प्रमुखों के साथ एक जरूरी बैठक करने वाली हैं. इस बैठक में कोरोना महामारी की वजह से धीमी हुई अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा की जाएगी, साथ ही बैंकों का परफॉर्मेंस रिव्यू भी किया जाएगा.

बैंकों के साथ बैठक करेंगी वित्त मंत्री
पिछले साल मार्च में कोरोना महामारी के बाद से ये वित्त मंत्री और सरकारी बैंकों के प्रमुखों के बीच पहली समीक्षा बैठक होगी. सूत्रों ने कहा कि मांग और खपत बढ़ाने के लिये बैंक क्षेत्र के महत्व को देखते हए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) के मैनेजिंग डायरेक्टर्स और CEO के साथ बैठक जरूरी है. कुछ दिन पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कहा था कि सरकार कोविड-19 महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए हर जरूरी कदम उठाने के लिए बिल्कुल तैयार है.
इन मुद्दों पर होगी चर्चा!
वित्त मंत्री के साथ इस बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा की जा सकती है. सूत्रों के मुताबिक बैठक में बैंक की मौजूदा हालत, रिजर्व बैंक द्वारा घोषित पुनर्गठन- दो योजना की प्रगति की समीक्षा किये जाने की उम्मीद है. बैठक में बैंकों को उत्पादक क्षेत्रों को कर्ज बढ़ाने पर जोर दिया जा सकता है. साथ ही इमरजेंसी क्रेडिट लोन गारंटी योजना (ECLGS) की भी समीक्षा की जाएगी. सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्री फंसे कर्ज या NPA (Non Performing Assets) की स्थिति की भी जायजा ले सकती हैं. इसके अलावा बैंकों की ओर से उठाए गए सुधार उपायों पर भी चर्चा की जा सकती है. आपको बता दें कि बैंकों का NPA 31 मार्च, 2021 को घटकर 6,16,616 करोड़ रुपये पर आ गया जो 31 मार्च, 2020 को 6,78,317 करोड़ रुपये था, 31 मार्च, 2019 को ये आंकड़ा 7,39,541 करोड़ रुपये पर था.
आपको बता दें कि इससे पहले इसी महीने संसद की एक समिति ने पब्लिक सेक्टर बैंकों में लंबे समय से चले आ रहे NPA की समस्या के समाधान में देरी को लेकर चिंता जतायी थी. इस समिति ने वित्त मंत्रालय से कहा था कि वो बैंकों को इस मुश्किल से निकालने के लिए एक साफ नीति तैयार करें.


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