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वित्तमंत्री सीतारमण ने दी चेतावनी, कहा- कैशलेस क्लेम नहीं देने वाली बीमा कंपनियों पर होगी कार्रवाई

Kunti Dhruw
24 April 2021 9:54 AM GMT
वित्तमंत्री सीतारमण ने दी चेतावनी, कहा- कैशलेस क्लेम नहीं देने वाली बीमा कंपनियों पर होगी कार्रवाई
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वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बीमा नियामक इरडा के चेयरमैन एससी खुंटिया से कहा है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बीमा नियामक इरडा के चेयरमैन एससी खुंटिया से कहा है कि कोरोना महामारी के संकटकाल में बीमाधारकों का कैशलेस इलाज कराना सुनिश्चित किया जाए। अगर कोई स्वास्थ्य बीमा कंपनी कैशलेस इलाज से इनकार करती है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

वित्तमंत्री ने ट्वीट में कहा, कई बीमा कंपनियों से जुड़ी शिकायतें मिलीं हैं कि उन्होंने बीमाधारकों के कैशलेस क्लेम को खारिज कर दिया है। बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के प्रमुख एससी खुंटिया को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कंपनियां किसी भी मरीज के कैशलेश इलाज के क्लेम देने से इनकार न कर सकें।
महामारी को देखते हुए पिछले साल कई विशेष बीमा उत्पाद उतारे गए थे, जो कोरोना के इलाज में मददगार हैं। सीतारमण ने कहा कि 20 अप्रैल, 2021 तक कोविड-19 से जुड़े 9 लाख क्लेम आवेदन स्वीकार किए गए। इनमें कुल 8,642 करोड़ का भुगतान किया गया है। इसमें टेलीफोन के जरिए डॉक्टर से परामर्श लेने का खर्च भी शामिल है।
इससे पहले इरडा ने भी अस्पतालों को निर्देश दिया था कि जहां भी बीमा कंपनियों की ओर से कैशलेस इलाज का अनुबंध है, वहां कोरोना मरीजों को यह सुविधा देने से इनकार नहीं किया जा सकता। कोरोना के अलावा भी अन्य बीमारियों का इलाज अस्पतालों को बिना नकद पैसे की मांग किए ही देना पड़ेगा, अगर बीमा कंपनियों के अनुबंध में ये बीमारियां शामिल हैं।
अस्पताल इनकार करें तो कंपनी को भेजें शिकायत
इरडा ने ताजा निर्देश कहा है कि अगर कोई अस्पताल या थर्ड पार्टी बीमा कंपनी कैशलेस क्लेम देने से इनकार करती है तो ग्राहकों को संबंधित मुख्य बीमा कंपनी से शिकायत करनी चाहिए। बीमा कंपनी को भी तत्काल कदम उठाते हुए अस्पतालों और टीपीए को सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश देने चाहिए।
कंपनियां तय करें कैशलेस इलाज : इरडा
वित्तमंत्री के निर्देश के बाद बीमा नियामक ने कंपनियों से स्पष्ट कहा है कि कोरोना के मरीजों के इलाज को लेकर कोई कोताही नहीं होनी चाहिए। इस समय को आपातकाल के रूप में लें और किसी भी मरीज के इलाज में बीमा कंपनियों की लापरवाही से देरी नहीं होनी चाहिए। अगर कोई कंपनी ऐसा करती है और जांच में साबित होता है तो उसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।


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