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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा- 'अर्थव्यवस्था में तेजी के लिए टीकाकरण ही एकमात्र दवा'
Deepa Sahu
13 Sep 2021 3:54 AM GMT
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि अर्थव्यवस्था में तेजी के लिए टीकाकरण ही एकमात्र दवा है।
तूतीकोरिन, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि अर्थव्यवस्था में तेजी के लिए टीकाकरण ही एकमात्र दवा है। तमिलनाडु मर्केटाइल बैंक के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि टीका लगने के बाद ना केवल लोग नियमित रूप से अपने आफिस जाने में सक्षम हो सकेंगे बल्कि व्यवसायी अपने काम को बेहतर तरीके से अंजाम दे सकेंगे। किसान भी नियमित रूप कृषि गतिविधियों में भाग लेकर अर्थव्यवस्था को गति दे सकेंगे। उन्होंने कहा, 'देश में टीकाकरण कार्यक्रम सुचारु रूप से चल रहा है और अब तक 74 करोड़ लोगों से ज्यादा लोगों को टीका लगाया जा चुका है। टीकाकरण ही एकमात्र दवा है जो ना केवल वायरस से लड़ने में सक्षम है बल्कि अर्थव्यवस्था को तेज गति से आगे बढ़ा सकता है।'
बता दें कि रविवार को तमिलनाडु में लगभग 20 लाख लोगों को टीका लगाया गया। वित्त मंत्री ने कहा कि हम सभी लोग तीसरी लहर नहीं आने की प्रार्थना कर रहे हैं। हालांकि अगर ऐसा होता है तो हमें अस्पतालों के बारे में सोचना होगा। अगर पर्याप्त मात्रा में अस्पताल हैं तो हमें देखना होगा कि क्या वहां पर आइसीयू है। और अगर आइसीयू है तो क्या वहां आक्सीजन सपोर्ट है। इन सभी सवालों के लिए मंत्रालय ने एक योजना की शुरुआत की है, जिसका लाभ उठाकर अस्पतालों को अपग्रेड किया जा सकता है।ग्रामीण क्षेत्र में स्थित अस्पताल भी इसका लाभ उठाकर अपना इंफ्रास्ट्रक्चर दुरुस्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी बैंक तो केंद्र द्वारा घोषित की गई इस योजना के तहत ऋण उपलब्ध करा रहे हैं, लेकिन निजी क्षेत्रों का प्रदर्शन अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा कि मई 1921 में तूतीकोरिन में बैंक की स्थापना हुई थी, लेकिन वर्तमान में इसकी सार्वभौमिक स्वीकृति और देश के सभी राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों में इसकी शाखाएं हैं।
डिजिटलीकरण के जरिये गरीबों तक पहुंचाएं सरकारी योजनाएं
वित्त मंत्री ने कहा है कि सरकारी योजनाएं गरीबों और दलितों पर पहुंचे, इसके लिए बैंकों को ना केवल वित्तीय समावेशन की प्रक्रिया अपनानी चाहिए बल्कि डिजिटलीकरण को भी प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पीएम बैंकिंग क्षेत्र की प्राथमिकता को बेहतर तरीके से समझते थे, इसीलिए सत्ता में आने के बाद ना केवल उन्होंने जनधन खातों की शुरुआत की बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि सभी के पास बैंक खाता हो।2014 से पहले विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे थे बैंक
वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 से पहले बैंक विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे थे। एनपीए के चलते उनकी आर्थिक हालत खराब थी। सरकार ने बैंकों में पर्याप्त पूंजी डाली और सुधार संबंधी कई उठाए। जिसके बाद अब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक पटरी पर हैं।
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