Finance Minister: फाइनेंस मिनिस्टर: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को इस साल का बजट पेश करेंगी। उम्मीद है कि वित्त मंत्री इस बजट में किसानों के लिएFor the farmers कई बड़े ऐलान करेंगी। सरकार पीएम किसान सम्मान निधि योजना, किसान क्रेडिट कार्ड और पीएम कुसुम योजना पर अहम प्रावधान कर सकती है। एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए किसान यूनियनों की लगातार मांग और पंजाब में किसान यूनियनों की घोषणा के बाद समर्थन मूल्य पर ज्यादा फसल खरीदने के लिए बजट में ज्यादा धनराशि का प्रावधान हो सकता है। लोकसभा चुनाव में भाजपा नीत एनडीए को ग्रामीण इलाकों में अपेक्षित समर्थन नहीं मिला। हरियाणा और राजस्थान में भाजपा को बड़ा झटका लगा। अब उम्मीद है कि वित्त मंत्री बजट में ग्रामीण विकास में अहम भूमिका निभाने वाली योजनाओं के लिए बजटीय आवंटन बढ़ाएंगी। माना जा रहा है कि मोदी सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना ने भाजपा को किसानों के बीच पैठ बनाने में काफी मदद की है। 2019 में शुरू की गई पीएम किसान सम्मान निधि योजना की राशि में आज तक एक बार भी बढ़ोतरी नहीं हुई है। फिलहाल किसानों को सालाना 6,000 रुपये मिल रहे हैं। बजट में सरकार इस राशि को बढ़ाकर 8,000 रुपये सालाना कर सकती है।
किसान क्रेडिट कार्ड के तहत 3,000 रुपये तक का कृषि ऋण 7 फीसदी की ब्याज दर पर दिया जा सकता है, जिसमें 3 फीसदी की सब्सिडी भी शामिल है। यानी किसानों को यह ऋण 4 फीसदी की ब्याज दर पर मिलेगा। महंगाई और खेती की लागत में बढ़ोतरी को देखते हुए सरकार ऋण की सीमा तीन लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर सकती है। प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना के तहत सरकार किसानों को 75 फीसदी सब्सिडी के साथ सोलर पंप मुहैया करा रही है। पीएम-कुसुम योजना छोटे किसानों के लिए वरदान साबित हुई है, जिन्हें अब अपनी फसल पकाने के लिए महंगे डीजल का इस्तेमाल Use नहीं करना पड़ता। सरकार पीएम-कुसुम योजना के तहत लगाए गए सोलर सिस्टम का इस्तेमाल घरेलू गैर-कृषि कार्यों के लिए भी करने की अनुमति दे सकती है। इस योजना के तहत सब्सिडी में बढ़ोतरी की उम्मीद है। किसान संगठन कृषि उपकरणों पर जीएसटी का विरोध कर रहे हैं। उनकी मांग है कि सरकार कृषि उपकरणों पर जीएसटी खत्म करे या इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) मुहैया कराए। बजट में सरकार कृषि उपकरणों पर जीएसटी दरें कम करने या अधिक सब्सिडी देने का फैसला कर सकती है। इससे देशभर के किसानों को यह सकारात्मक संकेत मिलेगा कि सरकार खेती-किसानी को लेकर गंभीर है।