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नई दिल्ली (आईएएनएस)| वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को इस बात पर जोर दिया कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को करदाताओं द्वारा दायर सभी आवेदनों पर समय पर कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए और कहा कि ऐसे आवेदनों के निपटान के लिए एक उचित समय सीमा निर्धारित की जानी चाहिए। उन्होंने प्रत्यक्ष कर कानूनों के प्रावधानों और उनके अनुपालन के बारे में करदाताओं की जागरूकता बढ़ाने के लिए सीबीडीटी से अपने प्रयास बढ़ाने के लिए कहा।
बोर्ड की एक समीक्षा बैठक में वित्त मंत्री ने मुख्य रूप से करदाता आधार बढ़ाने, अनुशासनात्मक कार्यवाही के लंबित मामलों और आयकर अधिनियम, 1961 की कुछ धाराओं के तहत देरी को माफ करने और छूट देने के लिए आवेदनों के निपटान के प्रयासों के बारे में चर्चा की।
बैठक में सीबीडीटी के अध्यक्ष और सदस्यों के अलावा राजस्व सचिव भी मौजूद रहे।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, बैठक के दौरान बताया गया कि हाल के वर्षों में वित्तीय लेन-देन विवरण (एसएफटी) में नए डेटा स्रोतों जैसे लाभांश और ब्याज, प्रतिभूतियां, म्युचुअल फंड और जीएसटीएन से जानकारी की शुरुआत से 1,118 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई है। इससे करीब तीन करोड़ लोगों की जानकारी जुड़ गई है।
नए टीडीएस कोड लागू करने से, जिनकी संख्या पिछले आठ वर्षों में 36 से लगभग दोगुनी होकर 65 पर पहुंच गई है, रिपोर्ट की गई ट्रांजेक्शनों की कुल संख्या 2015-16 के 70 करोड़ की तुलना में 2021-22 में 144 करोड़ पर पहुंच गई है।
सीतारमण को इस तथ्य से भी अवगत कराया गया कि जीडीपी की तुलना में व्यक्तिगत आयकर (पीआईटी) का अनुपात 2014-15 में 2.11 से बढ़कर 2021-22 में 2.94 हो गया है।
उन्होंने कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ लंबित अनुशासनात्मक कार्यवाही के मामलों की भी समीक्षा की और कहा कि प्रशासनिक और प्रक्रियागत देरी को कम किया जाना चाहिए।
सीतारमण ने सीबीडीटी को ऐसी कार्यवाही को अंतिम रूप देने के लिए त्वरित कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया।
--आईएएनएस
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