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वैज्ञानिकों ने बनाया हरा फली वाला सोयाबीन
दलहन और तिलहन के रूप में इस्तेमाल होने वाली सोयाबीन अब नए कलेवर में आ रही है. आने वाले दिनों में सोयाबीन की सब्जी थाली की पौष्टिकता बढाएगी. कृषि अनुसंधान केन्द्र इंदौर के वैज्ञानिकों ने हरी फली वाली सोयाबीन की किस्म विकसित की है.
हाल ही में केंद्र सरकार के कृषि विभाग ने देश में प्रचलित फसलों की 35 नई आधुनिक किस्में तैयार करवाई है. आने वाले दिनों में देश के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई फसलों की यह नई किस्में छोटे और सीमांत किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकती हैं.
गौरतलब है कि इस काम में मध्य प्रदेश के कृषि वैज्ञानिक और अनुसंधान केन्द्रों का भी बड़ा योगदान है. जिन नई फसलों को तैयार किया गया है, उसमें हरी फली वाली सोयाबीन देश में पहली बार विकसित हुई है, जिसे सब्जी के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकेगा.
'किसानों के लिए है सुरक्षित और फायदेमंद'
मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि प्रमुख फसलों जैसे अरहर, चना और बाजरा की नई किस्में पौष्टिकता से भरपूर हैं और इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता है. जिससे फसलों पर कीट पतंगे लगने का डर नहीं है. छोटे और सीमांत किसानों के लिए यह काफी सुरक्षित और फायदेमंद साबित हो सकती है.
वहीं जैव ईंधन तैयार करने के लिए ज्वार की नई किस्म विकसित की गई है. उम्मीद है कि आने वाले दिनों में वैज्ञानिक और भी बेहतर तकनीकों और उन्नत बीजों के जरिए किसानों की मदद करेंगे.
पीएम मोदी ने 35 नई किस्मों को देश को किया था समर्पित
इसी मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 35 नई बीजों की किस्मों को देश के किसानों के लिए समर्पित कर दिया था। जिन 35 नई फसलों की वैरायटी पेश की गई है, उनमें कुटु, किनोवा, गेहूं, धान, अरहर, सोयाबीन, सरसों, मक्का, ज्वार, बाजरा, चना, वाकला शामिल हैं.
बीज की नई किस्मों को जलवायु के हिसाब से तैयार किया गया है. नेशनल बायोटिक्स स्ट्रेस मैनेजमेंट जलवायु परिवर्तन होने पर फसलों पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन करेगा और उस समस्या से निपटने में मदद मिलेगी.
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