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किसानों को होगा सीधा फायदा, टी-कॉफी बोर्ड की बैठक में चाय और कॉफी एक्सपोर्ट पर हुआ बड़ा फैसला
Bhumika Sahu
15 Feb 2022 6:49 AM GMT
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राज्य के सरगुजा संभाग के पठारी इलाकों में चाय एवं कॉफी की खेती को बढ़ावा देने के लिए सर्वे कर प्रोजेक्ट बनेगा. बस्तर में उत्पादित कॉफी के मार्केटिंग के लिए निजी कंपनियों से इस शर्त के साथ एमओयू किया जाएगा.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे की अध्यक्षता में नवा रायपुर स्थित महानदी मंत्रालय भवन में आयोजित छत्तीसगढ़ टी-कॉफी बोर्ड (Tea and Coffee Board) की बैठक में बस्तर एवं सरगुजा संभाग में चाय और कॉफी (Coffee) की खेती के रकबे को विस्तारित करने तथा बस्तर में उत्पादित कॉफी की मार्केटिंग के लिए प्राइवेट कंपनियों से एमओयू (MoU-A memorandum of understanding) किए जाने का निर्णय लिया गया. बस्तर में उत्पादित कॉफी के विक्रय सह-मार्केटिंग के लिए रायपुर एवं नई दिल्ली में बस्तर कैफे प्रारंभ किए जाने की पहल की गई है. यहां यह उल्लेखनीय है कि बस्तर में उत्पादित कॉफी के लिए विक्रय सह-मार्केटिंग फिलहाल जगदलपुर में बस्तर कैफे का संचालन किया जा रहा है.
आइए इससे जुड़ी 7 बड़ी बातें
मंत्री रविन्द्र चौबे ने बस्तर सहित राज्य के सरगुजा संभाग के पठारी इलाकों में चाय एवं कॉफी की खेती को बढ़ावा देने के लिए सर्वे कर प्रोजेक्ट बनाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि बस्तर में उत्पादित कॉफी के मार्केटिंग के लिए निजी कंपनियों से इस शर्त के साथ एमओयू किया जाए कि कॉफी के ब्रांडनेम में बस्तर का नाम अनिवार्य रूप से शामिल होगा.
उन्होंने इसकी प्रोसेसिंग के लिए मशीन की स्थापना के लिए आवश्यक राशि का प्रबंध डीएमएम फंड से सुनिश्चित किए जाने की बात कही. उन्होंने अधिकारियों को सुकमा जिले में भी कॉफी की खेती के लिए एरिया चिन्हांकित करने के निर्देश दिए.
बैठक में जानकारी दी गई कि दरभा में 20 एकड़ में लगाए गए कॉफी प्लांटेशन से उत्पादन होने लगा है. प्रथम चरण में 8 क्विंटल कॉफी का उत्पादन हुआ है, जिसका उपयोग जगदलपुर में संचालित बस्तर कैफे के माध्यम से किया जा रहा है, जहां प्रतिदिन दो किलो कॉफी की खपत हो रही है.
उत्पादित मात्रा के उपयोग एवं मार्केटिंग के लिए कम से कम तीन कैफे और प्रारंभ किए जा सकते हैं. बस्तर कॉफी की ब्रांडिंग के लिए रायपुर एवं दिल्ली में एक-एक कैफे शुरू किए जाने की बात कही गई.
बैठक में बताया गया कि बस्तर के दरभा में वर्ष 2021 में 55 एकड़ में कॉफी की खेती की गई है. बस्तर जिले में अभी कुल 5108 एकड़ में कॉफी की खेती प्रस्तावित है, जिसमें तोकापाल ब्लाक के 9 गांवों में 1075 एकड़, लोहांडीगुड़ा के 11 गांवों में 1027 एकड़, बस्तानार के 14 गांवों में 1445 एकड़, बकावण्ड के 7 गंावों में 460 एकड़ में तथा दरभा ब्लाक के 13 गांवों में 1101 एकड़ में कॉफी की खेती प्रस्तावित है.
बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि दरभा में कृषि महाविद्यालय जगदलपुर द्वारा 245 एकड़ में कॉफी प्लांटेशन की तैयारी पूरी कर ली गई है. उद्यानिकी विभाग द्वारा कॉफी बोर्ड बैंगलोर से चंद्रगिरी किस्म का 2.50 क्विंटल प्रमाणित बीज प्राप्त किए जाने की कार्यवाही की जा रही है, इससे 5 लाख पौधे तैयार किए जाएंगे. जिसका रोपण 500 एकड़ रकबे में किया जाएगा. इसी तरह कृषि महाविद्यालय जगदलपुर द्वारा कॉफी बोर्ड बैंगलोर से एक क्विंटल प्रमाणित बीज प्राप्त कर दो लाख पौधे तैयार किए जाएंगे. जिसका रोपण 200 एकड़ में किया जा सकेगा.
बैठक में बताया गया कि बस्तर जिले में प्रतिवर्ष 1000 एकड़ में कॉफी की खेती को विस्तारित किए जाने का लक्ष्य है. वर्ष 2026 तक 5820 एकड़ में इसकी खेती होने लगेगी. कॉफी की खेती को बढ़ावा दिए जाने का कार्य किया जा रहा है. बैठक में जशपुर जिले में चाय की खेती को बढ़ावा देने की कार्ययोजना तथा टी-कॉफी उत्पादन हेतु आवश्यक संसाधनों के संबंध में भी चर्चा की गई. बैठक में उद्योग मंत्री कवासी लखमा, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह, टी-कॉफी बोर्ड के प्रबंध संचालक अरूण प्रसाद, उद्यानिकी संचालक माथेश्वरन वी. सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे.
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