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किसानों ने लिया बड़ा फैसला, केले के उत्पादन में आई भारी कमी
Bhumika Sahu
28 Dec 2021 2:53 AM GMT
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महाराष्ट्र में कोल्हापुर जिले में केला उत्पादन किसान इन दिनों केले की खेती से मुनाफा न होने पर किसान अब दूसरी फसल उगाने पर ज़ोर दे रहे हैं. प्रदेश में केले के पौध की बिक्री नहीं होने से करीब 35 में से 7 लैब बंद हैं.व्यपारियों का कहना हैं ओमीक्रोन का असर अब कृषि व्यवसाय पर पड़ने लगा हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। महाराष्ट्र के किसानों की समस्या कम होने का नाम नही ले रही हैं.पहले प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों को नुकसान झेलना पड़ा तो वही अब ओमीक्रोन का असर कृषि व्यवसाय पर पड़ने लगा हैं.जहां केले की कीमत पहले ही कम हो चुकी है, वहीं किसान अब इस दुविधा में हैं कि केले का उत्पादन करें या नहीं हालांकि, भविष्य में केले की भारी कमी होगी और कीमतें भी बढ़ेंगी,लेकिन मौजूदा स्थिति में सवाल उठता है कि क्या किसान केले की खेती करेंगे या नही क्यों कि वर्तमान में कोल्हापुर जिले में केला का दर केवल 3,000 रुपये प्रति टन हैं इसलिए कुछ किसान अब अधिक लागत वहन करके भविष्य के नुकसान से बचने के लिए सीधे फसल पैटर्न में बदलाव करते हुए भी दिख रहे हैं.
केले के पौधे को फेकने पर हुए मज़बूर
केले की कीमतों में अस्थिरता और जलवायु परिवर्तन के कारण केले की खेती करने का सवाल किसानों के मन में बना रहता हैं इन प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण केले की पौध की मांग नहीं है.नतीजतन,लैब चालक डरे हुए हैं और उन्हें लाखों रुपये के केले के पौधे को फेंकना पड़ रहा हैं कई लैब संचालकों द्वारा केले की बिक्री के बाद भुगतान करने के अनुरोध के बावजूद किसान खेती करने के लिए तैयार नहीं हैं, लेकिन रोपे छीन लेते हैं सीजन की शुरुआत के बाद से केले की अपेक्षित दर नहीं रही है इसलिए मराठवाड़ा में भी कई लोगों ने बाग काट दिया है बताया जा रहा हैं यह ओमिक्रॉन के बढ़ते प्रकोप के कारण बागवानी किसनों का नुकसान हो रहा हैं.
भारी बारिश में केले के बगीचों का हुआ था भारी नुकसान
जुलाई के महीने के दौरान, पश्चिमी महाराष्ट्र में आये बाढ़ में केला के बागों का बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ था.जिससे
केला के बाग पूरी तरह से नष्ट हो गए थे.तब से अब तक इस क्षेत्र के किसानों ने केला की उपज भी नहीं ली है.केले के प्रबंधन और बाजार मूल्य के बीच सही मुनाफा न होने के कारण किसानों ने केले की खेती के बजाय केले के बागों को काटने पर ज़ोर दिया था.हालांकि केले की खेती साल के किसी भी समय की जाती है, लेकिन मुख्य मौसम जून से अगस्त है इस बीच किसानों ने खेती के लिए कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है नतीजतन इस क्षेत्र केला का आवक में कमी आ गई.
केला उत्पादक अब दूसरी फसल उगाने की ओर कर रहे हैं रुख
पश्चिमी महाराष्ट्र किसानों ने केले की खेती के एक नए क्षेत्र में केले लगाने की योजना बनाई थी.लेकीन बाजार की स्थितियों और ओमीक्रोन के बढ़ते प्रसार के कारण, किसानों ने अपनी योजना बदल दी है.क्योंकि किसानों के मन यह सवाल हैं क्या लाखों की लागत से केले लगाए जाने पर भी अपेक्षित दरों और ओमीक्रोन से बाजार मूल्य में सुधार नही हुआ तो आगे भविष्य में क्या होगा,इसलिए किसान अब दूसरे फसल उत्पादन की ओर रुख कर रहे हैं
लेकिन केले की खेती करने की हिम्मत नहीं कर रहे हैं. पौध की बिक्री नहीं होने से प्रदेश में 35 में से 7 लैब बंद हैं.
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