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किसानों की तेजी से बढ़ेगी कमाई, फॉलो करें ये 5 काम की टिप्स

Bhumika Sahu
10 Jan 2022 7:01 AM GMT
किसानों की तेजी से बढ़ेगी कमाई, फॉलो करें ये 5 काम की टिप्स
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डॉक्टर एस के सिंह ने TV9 हिंदी के जरिए किसानों के लिए 5 टिप्स बताई है. जिससे उनकी आमदनी बढ़ती जाएगी और खर्च घटता जाएगा.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज कल किसान खेती बारी में रोग एवं कीट से बचने के लिए पेस्टीसाइड का अंधाधुंध प्रयोग कर रहे है जिससे हमारे कृषि उत्पाद एवं वातावरण Agricultural products and environment दोनों ही विषैला होते जा रहा है,जिससे कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी बहुत ही तेज गति से फैल रही है . आज शायद ही कोई परिवार हो जो इस खतरनाक बीमारी से मुक्त हो. आवश्यकता इस बात की है की किसानों को बताया जाय की इन रोग एवं कीटों के प्रबंधन हेतु एक से ज्यादा विकल्प उपलब्ध है ,उनके माध्यम से नाशीजीवों को प्रबंधित किया जाय. डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर, के डायरेक्टर रिसर्च डॉ. एसके सिंह ने टीवी9 डिजिटल को बताया कि रसायनों के माध्यम से नाशीजीवों (pest) को प्रबंधित करना अंतिम विकल्प के रूप में लेना चाहिए. इसके लिए Integrated Pest Management के विषय में जानकारी होना चाहिए जिसका रोग एवं कीटों का प्रबंधन (Disease and pest management) बिना chemicals के या कम से कम इस्तेमाल किया जाय.

किसानों के लिए 5 टिप्स
(1) डॉक्टर सिंह के मुताबिक फसलों के नाशीजीवों (pests) कों नियन्त्रित करने के लिए प्राकृतिक शत्रुओं को प्रयोग में लाना जैव नियन्त्रण कहलाता है. फसलों को हानि पहुंचाने वाले जीव नाशीजीव कहलाते है.प्रकृति में मौजूद फसलों के नाशीजीवों के नाशीजीव 'प्राकृतिक शत्रु' natural enemies, 'friend creatures', 'मित्र कीट', 'किसानों के मित्र', 'Vaio Agent' आदि नामों सें जाने जोते हैं.
(2) जैव नियंत्रण एकीकृत नाशीजीव management का महत्वपूर्ण अंग है. इस विधि में नाशीजीवी व उसके प्राकृतिक शत्रुओ के जीवनचक्र, भोजन, मानव सहित अन्य जीवों पर प्रभाव आदि का गहन अध्ययन करके प्रबन्धन का निर्णय लिया जाता है.
(3) जैव नियन्त्रण अपनाने से पर्यावरण दूषित नहीं होता है. नेचुरल विधि से नियंत्रण होने के कारण इसका असर लम्बे समय तक बना रहता है. अपने आप बढ़ने (गुणन) तथा अपने आप फैलने के कारण इसका प्रयोग घनी तथा ऊँची फसलों जैसे गन्ना, फलादार पौधों, जंगलों आदि में आसानी से किया जा सकता है. केवल विशिष्ट नाशीजीवों specific pests पर ही आक्रमण होता है अतः अन्य जीव प्रजातियों, कीटों, पशुओं, वनस्पतियों और मनुष्यों पर इसका काई प्रभाव नहीं होता है इसका उल्टा प्रभाव नहीं होता है अतः फसल उपयोग के लिए काई प्रतीक्षा समय नहीं होता है.
(4) किसान अपने घर पर भी इनका उत्पादन कर सकते हैं. ntegrated Pest Control (IPC)) नाशीजीवों के नियंत्रण की सस्ती और वृहद आधार वाली विधि है जो नाशीजीवों के नियंत्रण की सभी विधियों के समुचित तालमेल पर आधारित है. इसका लक्ष्य नाशीजीवों की संख्या एक सीमा के नीचे बनाये रखना है. इस सीमा को 'आर्थिक क्षति सीमा' (economic injury level (EIL)) कहते हैं. फसलों के नाशीजीवों के प्राकृतिक शत्रुओं (parasitoid) का उपयोग
(5) यह कीट दूसरे कीटों और कवकों को चाट जाता है जिससे पौधे की रक्षा होती है. एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें फसलों को हानिकारक कीड़ों तथा बीमारियों से बचाने के लिए किसानों को एक से अधिक तरीकों का इस्तेमाल करना चाहिए . व्यवहारिक, यांत्रिक, जैविक तथा रासायनिक नियंत्रण इस तरह से इस्मेमाल में लाना चाहिए ताकि फसलों को हानि पहुंचाने वालें की संख्या आर्थिक हानिस्तर economic loss level से नीचे रहे और chemical drugs का प्रयोग तभी किया जाए जब अन्य अपनाए गये तरिके से सफल न हों.


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