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किसान पिपरमिंट की खेती से बढ़ा रहे अपनी आमदनी, जानिए कमाई के बारे में

jantaserishta.com
2 March 2022 4:13 AM GMT
किसान पिपरमिंट की खेती से बढ़ा रहे अपनी आमदनी, जानिए कमाई के बारे में
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Mentha Cultivation: भारत के किसान अब पहले से ज्यादा जागरूक हो रहे हैं. यही वजह है कि पारंपरिक फसलों से इतर मुनाफे वाली फसलों की तरफ रूख कर रहे हैं. ऐसे कई पौधे होते हैं, जिनकी खेती से आप कुछ महीनों में अमीर बन सकते हैं. इन पौधों की खास बात ये है कि इन पौधों का दवा बनाने के साथ-साथ अन्य कई जरूरी कार्यों में उपयोग किया जाता है.

किसान पिपरमिंट (Peppermint) या मेंथा (Mentha) की खेती से कम निवेश कर ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. यह एक कैश क्रॉप है. कैश क्रॉप का मतलब बाजार की मांग को ध्यान में रखकर लाभ कमाने के मकसद से उगाई जाने वाली फसल.
खेती के लिए जलवायु और मिट्टी -
इसकी खेती के लिए अनुकूल जलवायु का होना बेहद जरूरी है. इसकी खेती जनवरी फरवरी अंत में शुरू की जा सकती है. खेती के लिए बलुई दोमट व मटियारी दोमट भूमि उपयुक्त होती है. रोपाई से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई करके भूमि को समतल बनाएं. इसके बाद इसमें 20 से 25 टन गोबर की सड़ी खाद डालें. खाद डालने के बाद पाटा लगाकर खेत को समतल बना लेना चाहिए. रोपाई के तुरंत बाद खेत में हल्का पानी दें. खेत में जल निकासी की भी अच्छी व्यवस्था होना चाहिए.
कब न करें खेती -
सर्दियों के दिनों में जिन क्षेत्रों में पाला या बर्फबारी होती है. वहां मेंथा या पिपरमिंट की खेती नहीं की जा सकती है. पाला या बर्फ गिरने से पौधों की ग्रोथ कम हो जाती है तो दूसरी तरफ तेल की मात्रा भी कम निकलती है. वहीं पहाड़ी क्षेत्रो में मेंथा की बुवाई मार्च और अप्रैल के मध्य करना चाहिए. इसकी बुवाई के कतार से कतार की दूरी 60 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 45 सेंटीमीटर रखना चाहिए.
बाज़ार में तेल की कीमत -
एक बीघे जमीन में उगाये गए पिपरमिंट की पेराई के बाद 20 से 25 लीटर तेल निकलता है. बाजारों में इसका दाम 1000 से 1600 रुपये प्रति लीटर तक है. जबकि प्रति लीटर पिपरमिंट आयल के उत्पादन पर करीब 500 रुपए लागत आती है. इसलिए यह किसानों के लिए अच्छे मुनाफे का सौदा है.
पिपरमिंट का इस्तेमाल -
इसका इस्तेमाल दर्द निवारक तेल और दवाई बनाने में होता है. यह औषधीय गुणों से युक्त है. इसके तेल में मेन्थोन, मेंथाल तथा मिथाइल एसीटेट जैसे पाए जाते हैं. जो सिरदर्द, कमरदर्द, सांस संबंधित बीमारियों की औषधियों में इसका उपयोग किया जाता है. इसके अलावा सौंदर्य प्रसाधन के साथ ही पान-मसाला खुशबू, पेय पदार्थ आदि में भी इसका प्रयोग होता है. इसलिए इसकी अच्छी मांग रहती है. यह दांत और सिर दर्द में काफी लाभकारी है.

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