व्यापार

नई विधि से धान की खेती कर रहे हैं किसान, होगा बहुत ज्यादा कमाई

Apurva Srivastav
14 Jun 2021 3:08 PM GMT
नई विधि से धान की खेती कर रहे हैं किसान, होगा बहुत ज्यादा कमाई
x
धान की खेती कर रहे हैं

देश में फिलहाल खरीफ फसलों की रोपाई-बुवाई का सीजन चल रहा है. खरीफ की प्रमुख फसल धान की किसान बड़े पैमाने पर खेती कर रहे हैं. इसी बीच पंजाब में एक नया चलन देखने को मिल रहा है. यहां के किसान एक खास प्रयोग कर रहे हैं और एक ही खेत में अलग-अलग किस्म व अलग-अलग विधि से धान की खेती कर रहे हैं.

हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक, पंजाब कृषि निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी बलदेव सिंह कहते हैं, हमने देखा है कि किसान खरीफ फसलों, विशेष रूप से धान को बुद्धिमानी से उगा रहे हैं. वे अपने खेत के एक हिस्से में सीधी बुवाई यानी छिड़काव कर रहे हैं और दूसरे खेत हिस्से में नर्सरी से पौध उखाड़ कर रोपाई कर रहे हैं. इसके अलावा किसान लंबी अवधि और कम अवधि में तैयार होने वाली धान की अलग-अलग किस्मों को एक ही खेत में लगा रहे हैं.
72 रुपए बढ़ा है धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य
पंजाब में इस खरीफ सीजन मोटे धान की 24.5 लाख हेक्टेयर और बासमती की 5.5 लाख हेक्टेयर में खेती होने की उम्मीद है. पंजाब के किसान कहते हैं कि किसानों को हर संभव तरीके से खेती में विविधता लानी चाहिए. विभिन्न किस्मों को उगाने से किसानों को मदद मिलेगी. अगर बासमती को अच्छी कीमत नहीं मिली तो किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के तहत आने वाली मोटे किस्मों को बेचकर आमदनी कर सकते हैं.
हाल ही में केंद्र सरकार ने धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 72 रुपए बढ़ा दिया है. खरीफ मार्केटिंग सीजन 2020-21 के मुकाबेल 2021-22 में धान प्रति क्विंटल 1868 रुपए की बजाय 1940 रुपए प्रति क्विंटल बिकेगा. वहीं ए ग्रेड धान की एमएमसी 1960 रुपए तय की गई है.
पंजाब में पिछले सीजन के मुकाबले इस बार मोटे धान की सीधी बुवाई का रकबा दोगुना होकर 10 लाख हेक्टेयर होने की उम्मीद है. मोटे किस्म के धान की खेती के कुल रकबा 24.5 लाख हेक्टेयर का यह कुल 40 फीसदी है और अगर कुल धान की खेती के क्षेत्रफल की बात करें तो यह एक तिहाई के बराबर है.
10 जून से शुरू हो चुकी है धान की रोपाई
कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, नर्सरी से पौध उखाड़कर धान की रोपाई करने की शुरुआत 10 जून से हो चुकी है. राज्य सरकार की तरफ से धान रोपाई शुरू करने की तारीख भी 10 जून तय की गई थी. फिलहाल किसान पुसा-44 की रोपाई कर रहे हैं. छिड़काव विधि से सीधी बुवाई अभी तक 2 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में हो चुकी है.
कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, छिड़काव विधि से धान की बुवाई करने की शुरुआत 25 मई को हुई थी और यह 15 जून तक चलेगी, जबकि धान की रोपाई के लिए आदर्श समय 10 जून से लेकर 15 जुलाई तक का है.
पुसा-44 से नहीं भंग हो रहा किसानों का मोह
पंजाब में किसानों को कम अवधि में तैयार होने वाली किस्मों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. लेकिन किसानों का लंबी अवधि वाली किस्म पुसा-44 से मोहभंग नहीं हो रहा है. दरअसल, पुसा-44 को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने तैयार किया था, जिसके बीज का उत्पानद आईसीएआर ने बंद कर दिया है. अभी किसान खुद से इसकी व्यवस्था कर खेती कर रहे हैं.
कम अवधि वाली किस्म परमल पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की तैयार की हुई है. यह पुसा-44 के मुकाबले 20-25 दिन कम समय में तैयार हो जाती है. पुसा-44 की खेती करने वाले किसानों के पास रबी फसलों की बुवाई के लिए समय नहीं बचता है. बावजूद इन सबके किसान इसकी खेती त्याग नहीं रहे हैं क्योंकि इसमें पैदावार परमल के मुकाबले 5-6 क्विंटल ज्यादा होती है.


Next Story