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एफएओ ने कहा- 'अप्रैल में मक्के और खाद्य तेल के दामों में आई हल्की नरमी'

Deepa Sahu
6 May 2022 12:27 PM GMT
एफएओ ने कहा- अप्रैल में मक्के और खाद्य तेल के दामों में आई हल्की नरमी
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संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने कहा है कि खाद्य तेलों और अनाजों के दामों में आई हल्की नरमी के कारण बीते माह अप्रैल में वैश्विक बाजार में खाद्य पदार्थों की कीमतें घटी हैं।

रोम: संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने कहा है कि खाद्य तेलों और अनाजों के दामों में आई हल्की नरमी के कारण बीते माह अप्रैल में वैश्विक बाजार में खाद्य पदार्थों की कीमतें घटी हैं। एफएओ की इससे पहले की रिपोर्ट में बताया गया था कि मार्च में वश्विक स्तर पर खाद्य कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थीं। मार्च में खाद्य पदार्थ की कीमतों का सूचकांक 13 प्रतिशत की तेजी में 159.3 अंक के स्तर पर रहा था।

मासिक आधार पर अप्रैल में सूचकांक में 0.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। यह अप्रैल में 158.5 अंक पर रहा। हालांकि, अप्रैल 2021 की तुलना में सूचकांक में 29.8 प्रतिशत की तेजी आई है। यह सूचकांक आमतौर पर खरीदी या बेची जाने वाली खाद्य कमोडिटी के अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में आये मासिक बदलाव को बताता है। मार्च में वैश्विक स्तर पर अनाजों के दाम 17 प्रतिशत और खाद्य तेलों के दाम 23 प्रतिशत बढ़े थे।
मार्च 2022 की तुलना में अप्रैल 2022 में खाद्य तेलों के सूचकांक में 5.7 प्रतिशत और अनाजों के सूचकांक में 0.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। एफएओ के मुख्य अर्थशास्त्री मैक्सिमो टोरेरो क्यूलेन ने कहा कि सूचकांक में हल्की कमी भी राहत की बात है। खासकर खाद्य संकट से जूझ रहे कम आयवर्ग वाले देशों के लिये यह राहत की बात है। हालांकि, खाद्य पदार्थो के दाम अब भी हाल के उच्चतम स्तर पर बने हुये हैं, जो वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिये एक चुनौती है।
मक्के के दाम में तीन फीसदी की नरमी के कारण अनाजों के सूचकांक में गिरावट आई है जबकि मांग की कमी के कारण पाम ऑयल, सूरजमुखी तेल और सोयाबीन तेल के लुढ़कने से खाद्य तेलों के सूचकांक में गिरावट दर्ज की गई है। एफएओ के मुताबिक यूक्रेन के बंदरगाहों के अवरूद्ध किये जाने और अमेरिका में गेहूं के उत्पादन को लेकर जारी चिंताओं को भारत ने बहुत हद तक खत्म कर दिया। भारत ने बड़ी मात्रा में गेहूं का निर्यात किया, जिससे इसकी कीमतों पर लगाम लगा रहा। रूस ने भी निर्यात में बढ़ोतरी की। चीन की ओर से मांग बढ़ने से वैश्विक स्तर पर चावल के दाम 2.3 प्रतिशत बढ़ गये।
इथनॉल के दाम में तेजी और ब्राजील में फसल को लेकर पैदा हुई आशंका के कारण चीनी की कीमतों के सूचकांक में 3.3 प्रतिशत की तेजी रही। ब्राजील चीनी का सबसे बड़ा निर्यातक है और इस बार वहां फसल कटाई की शुरूआत अच्छी नहीं रही है।

मांस की कीमतों में मार्च की तुलना में 2.2 प्रतिशत की तेजी रही। मुर्गी, गाय और भैंस के मांस की कीमतें बढ़ गई जबकि भेड़ के मांस के दाम में गिरावट दर्ज की गई।अप्रैल में डेयरी उत्पाद के सूचकांक में 0.9 प्रतिशत की तेजी रही। मांग बढ़ने के कारण मक्खन की कीमतों में सर्वाधिक बढ़त दर्ज की गई।

एफओए ने इस बार अनाजों की मांग और आपूर्ति से संबंधित आंकड़ा भी जारी किया है। इसके मुताबिक वैश्विक बाजार में 2021/2022 के विपणन वर्ष में अनाजों के कारोबार में 1.2 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है। इस दौरान चावल के कारोबार में 3.8 प्रतिशत, गेहूं में करीब एक प्रतिशत की तेजी आयेगी जबकि मक्के तथा अन्य मोटे अनाज में गिरावट आयेगी।
एफएओ के मुताबिक ब्राजील में इस साल मक्के का 116 मिलियन टन का रिकॉर्ड उत्पादन होने वाला है जबकि विपरीत मौसम संबंधी परिस्थितियों की वजह से अर्जेटीना और दक्षिण अफ्रीका में इसका उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
इस साल गेहूं के उत्पादन में बढ़ोतरी का अनुमान है। वैश्विक गेहूं उत्पादन इस साल 782 मिलियन टन के आंकड़े को छू सकता है। हालांकि, एफओए ने यूक्रेन में गेहूं के उत्पादन में 20 प्रतिशत की गिरावट और मोरक्को सूखे के कारण फसल के प्रभावित होने की भी बात कही है। अमेरिका में भी बुवाई के शुरूआती आंकड़ों से पता चला है कि इस बार वहां मक्के की बुवाई का रकबा चार प्रतिशत कम है।


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