व्यापार

फेसबुक इंक अपनी कंपनी को एक नए नाम के साथ रिब्रांड करने की योजना बना रहे, जानें वजह

Shiddhant Shriwas
20 Oct 2021 6:24 AM GMT
फेसबुक इंक अपनी कंपनी को एक नए नाम के साथ रिब्रांड करने की योजना बना रहे, जानें वजह
x
सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक इंक (Facebook Inc) अगले हफ्ते अपनी कंपनी को एक नए नाम के साथ रिब्रांड करने की योजना बना रही है

सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक इंक (Facebook Inc) अगले हफ्ते अपनी कंपनी को एक नए नाम के साथ रिब्रांड करने की योजना बना रही है. The Verge की रिपोर्ट के मुताबिक, फेसबुक के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (CEO) मार्क जुकरबर्ग 28 अक्टूबर को कंपनी की कनेक्ट कॉन्फ्रेंस में नाम बदलने पर चर्चा कर सकते हैं. हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि रिब्रांडिंग को लेकर खबर इससे भी जल्दी आ सकती है.

फेसबुक ऐप की ब्रांडिंग में नहीं होगा बदलाव
फेसबुक के ऑरिजनल ऐप और सर्विस की ब्रांडिंग में कोई बदलाव होने की उम्मीद नहीं है. इसे एक पेरेंट कंपनी के तहत रखा जाएगा, जिसके पोर्टफोलियो में करोड़ों यूजर्स वाले दूसरे ब्रांड्स जैसे इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप आएंगे. गूगल पहले से Alphabet इंक को पेरेंट कंपनी बनाकर इसी तरह का ढ़ांचा रखती है. रिब्रांडिंग के बाद फेसबुक का सोशल मीडिया ऐप एक पेरेंट कंपनी के तहत एक प्रोडक्ट बन जाएगा. इस पेरेंट कंपनी के अंदर दूसरे प्लेटफॉर्म जैसे इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप, Oculus आदि भी आएंगे.
जुकरबर्ग ने साल 2004 में सोशल नेटवर्क की शुरुआत की थी. उन्होंने कहा है कि फेसबुक के भविष्य के लिए मुख्य चीज मेटावर्स कॉन्सेप्ट है. यह एक आइडिया है, जिसके अंदर यूजर्स एक वर्चुअल दुनिया के अंदर जीएंगे, काम और एक्सरसाइज करेंगे. कंपनी का Oculus वर्चुअल रिएलिटी हैडसेट और सर्विस उसके विजन को पूरा करने में अहम हिस्सा हैं.
मेटावर्स कंपनी के तौर पर पहचान बनाना मकसद
जुकरबर्ग ने जुलाई में कहा था कि आने वाले सालों में, वे उम्मीद करते हैं कि लोग उन्हें प्राथमिक तौर पर एक सोशल मीडिया कंपनी के तौर पर देखने की जगह एक मेटावर्स कंपनी के तौर पर मानना शुरू करेंगे. उन्होंने आगे कहा था कि बहुत से तरीकों में, मेटावर्स सोशल टेक्नोलॉजी का असली एक्सप्रेशन है.
यह खबर ऐसे समय में आई है, जब कंपनी अपनी कारोबारी गतिविधियों पर अमेरिकी सरकार की बढ़ती निगरानी का सामना कर रही है. दोनों पार्टियों के सांसदों ने कंपनी की आलोचना की है, जिससे फेसबुक के लिए कांग्रेस में बढ़ता गुस्सा दिखता है. यह सिलिकॉन वैली की कंपनियों में असमान्य बात नहीं है कि वे अपनी सेवाओं का विस्तार करने के लिए नाम बदल देती हैं. गूगल ने साल 2015 में होल्डिंग कंपनी के तौर पर अल्फाबेट इंक की शुरुआत की थी. इससे उसका मकसद अपने सर्च और एडवरटाइजिंग बिजनेस से आगे विस्तार करना था. कंपनी कई दूसरे वेंचर्स को देखना चाहती थी, जिससे वे सेल्फ-ड्राइविंग व्हीकल और हेल्थ टेक्नोलॉजी से लेकर दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाओं को उपलब्ध कराने तक को देख सके.
Next Story