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शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह दीर्घावधि में अमेरिकी बांड पर प्राप्ति, कच्चे तेल की कीमतों तथा वृहद आर्थिक आंकड़ों से तय होगी
शेयर बाजारों की दिशा इस सप्ताह दीर्घावधि में अमेरिकी बांड पर प्राप्ति, कच्चे तेल की कीमतों तथा वृहद आर्थिक आंकड़ों से तय होगी। विश्लेषकों ने यह राय जताई है। इसके अलावा विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) और घरेलू निवेशकों के रुख, डॉलर के मुकाबले रुपये के उतार-चढ़ाव और कोरोना वायरस से जुड़े घटनाक्रम भी बाजार को दिशा देंगे। बीते सप्ताह सेंसेक्स 1,305.33 अंक या 2.65 प्रतिशत के लाभ में रहा। बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स पांच मार्च को 440 अंक टूट गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 15,000 अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे आ गया।
कोटक सिक्योरिटीज का अनुमान
कोटक सिक्योरिटीज के बुनियादी शोध प्रमुख रुस्मिक ओझा ने कहा, ''अमेरिका में 10 साल की सरकारी प्रतिभूतियों पर प्राप्तियां 1.5 प्रतिशत को पार कर गई हैं, जो काफी हद तक वैश्विक बाजारों की दृष्टि से नकारात्मक है। डॉलर सूचकांक भी 90 से 92 के स्तर पर पहुंच गया है, जो उभरते बाजारों की मुद्राओं तथा शेयर बाजारों की दृष्टि से नकारात्मक है। ओझा ने कहा, ''घरेलू मोर्चे पर किसी तरह के संकेतकों के अभाव में भारतीय बाजार वैश्विक घटनाक्रमों तथा अमेरिकी बाजार से दिशा लेंगे।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज की राय
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमख विनोद नायर ने कहा, ''आगामी सप्ताह बाजार की निगाहें इस बात पर रहेंगी कि क्या फेडरल रिजर्व अगली बैठक में बांड पर प्राप्ति बढ़ने के बीच अपने नरम रुख को जारी रखता है। इसके अलावा अमेरिकी केंद्रीय बैंक के ब्याज दरों को निचले स्तर पर कायम रखने और तरलता को बेहतर करने से बाजार की धारणा को बल मिल सकता है। ब्रेंट कच्चे तेल के दामों पर भी निवेशकों की नजर रहेगी। कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी भारतीय बाजारों की दृष्टि से एक ओर जोखिम है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के खुदरा शोध प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, ''भारतीय शेयर बाजार के निवेशकों की निगाह बांड की प्राप्ति पर रहेगी।
कोटक सिक्योरिटीज के कार्यकारी उपाध्यक्ष इक्विटी तकनीकी शोध श्रीकान्त चौहान ने कहा, ''बीते सप्ताह बाजार में लाभ रहा। इसके बावजूद बाजार का 'मूड सुस्त था। बांड पर प्राप्ति बढ़ने तथा डॉलर सूचकांक के ऊपर की ओर से जाने से वैश्विक स्तर पर बाजार में कमजोरी का रुख बना है। विश्लेषकों का कहना है कि इसके अलावा निवेशकों की निगाह घरेलू संकेतकों मसलन उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति, थोक मुद्रास्फीति तथा औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) पर रहेगी।
Gulabi
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