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महंगा पेट्रोल-डीजल अभी राहत की उम्मीद नहीं मुनाफाखोरी के चलते 'उबल' रहा कच्चे तेल का बाजार,

Teja
22 Oct 2021 1:19 PM GMT
महंगा पेट्रोल-डीजल अभी राहत की उम्मीद नहीं मुनाफाखोरी के चलते उबल रहा कच्चे तेल का बाजार,
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ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा के अनुसार, तेल कीमतों में तेज उछाल आ सकता है और आने वाले दो-तीन वर्षों में यह बढ़कर 100 डॉलर प्रति बैरल तक भी जा सकता है। इस अनुमान के कारण भी बाजार में घबराहट पैदा हो रही है, जिसका असर तेल कीमतों में बढ़ोतरी के रूप में देखा जा रहा है। इसका विश्व के आर्थिक परिदृश्य और विशेषकर भारत पर नकारात्मक असर पड़ेगा। इससे देश की विकास दर भी असर पड़ सकता है...

जनता से रिश्ता वेबडेसक | विश्व बाजार में कच्चे तेल की मांग और इसके उत्पादन में कोई अंतर नहीं है, लेकिन इसके बाद भी कच्चे तेल की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। यह स्थिति पूरे विश्व के लिए चिंता का कारण बनी हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का कारण मांग-आपूर्ति की समस्या नहीं, बल्कि मुनाफाखोरी है। निवेशक ज्यादा कमाई के चक्कर में निवेश कर लाभ कमा रहे हैं। इसके अलावा तेल बाजार के नए स्रोत खोजने में नया निवेश नहीं हो रहा है, जिससे आने वाले दो-तीन वर्षों में मांग-आपूर्ति का संकट पैदा हो सकता है। इस स्थिति की आशंका से बाजार में 'पैनिक बाइंग' बढ़ रही है जिससे तेल की कीमतें उछल रही हैं। अनुमान है कि यह तेजी अभी बनी रहेगी और महंगे तेल की कीमतों से छुटकारा नहीं मिलेगा। इससे घरेलू स्तर पर 'कैस्केडिंग इफैक्ट' के कारण अन्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी जारी रह सकती है। यानि फिलहाल लोगों को महंगाई से छुटकारा मिलने की कोई उम्मीद नहीं है।

कोरोना पूर्व स्तर को नहीं छू सकी है मांग

ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने अमर उजाला को बताया कि वर्तमान में तेल की कीमतों में उछाल का मांग और सप्लाई से ज्यादा लेना-देना नहीं है। इस समय विश्व बाजार में जितनी तेल की मांग है, लगभग उतना उत्पादन किया जा रहा है। कोरोना काल के बाद अर्थव्यवस्था तेजी से खुल रही है, लेकिन यह अभी भी कोरोना पूर्व की स्थिति में नहीं आई है। रेल-हवाई यातायात और कई अन्य औद्योगिक क्षेत्र अभी भी पूरी क्षमता के साथ नहीं खुले हैं और इनमें तेल की मांग सीमित बनी हुई है। यही कारण है कि पेट्रोल-डीजल की मांग अभी भी कोरोना पूर्व के स्तर को नहीं छू सका है। यही कारण है कि इस समय कच्चे तेल की मांग और आपूर्ति के बीच कोई संकट नहीं है।

तेल कीमतों में बढ़ोतरी की वजह मुनाफाखोरी

तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का सबसे बड़ा कारण तेल बाजार में मुनाफाखोरी है। निवेशक पैसा लगाकर ज्यादा कमाई को देखते हुए निवेश कर रहे हैं, जिससे भाव उछल रहे हैं। लेकिन आज के हालात में इसके 75 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाने की उम्मीद नहीं है। आने वाले कुछ समय में मांग बढ्ने पर यह 90 डॉलर तक भी पहुंच सकता है, लेकिन चूंकि यह केवल मुनाफाखोरी के कारण होगा और बाजार में मांग और आपूर्ति के बीच कोई संकट नहीं है, इसलिए इस ऊंचाई पर दाम टिक नहीं पाएगा। और इस ऊंचाई पर पहुंचकर तेल की कीमतें वापस नीचे आ जाएंगी।

महत्वपूर्ण तेल उत्पादक देश सऊदी अरब और रूस ने भी तेल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि की आलोचना की है। उनका भी मत है कि तेल की कीमतें इतनी अधिक नहीं होनी चाहिए और वे उत्पादन बढ़ाने और तेल कीमतें स्थिर रखने के पक्ष में हैं, इन देशों की इस नीति का जल्द असर दिखाई पड़ सकता है और विश्व बाजार में तेल की कीमतें स्थिर रह सकती हैं।

विकास दर पर पड़ सकता है असर

नरेंद्र तनेजा के अनुसार आने वाले समय में तेल की कीमतों में तेज उछाल दिखाई पड़ेगा। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इस समय तेल के नए स्रोत को खोजने में निवेश बिलकुल नहीं किया जा रहा है। जिन नए स्रोतों का पता लगाया गया है, वहां भी तेल उत्पादन नहीं हो रहा है। ऐसी स्थिति में अनुमान है कि आने वाले समय में जब तेल की मांग बढ़ने लगेगी तब इसकी अपेक्षित आपूर्ति नहीं हो पाएगी। इससे तेल कीमतों में तेज उछाल आ सकता है और आने वाले दो-तीन वर्षों में यह बढ़कर 100 डॉलर प्रति बैरल तक भी जा सकता है। इस अनुमान के कारण भी बाजार में घबराहट पैदा हो रही है, जिसका असर तेल कीमतों में बढ़ोतरी के रूप में देखा जा रहा है। इसका विश्व के आर्थिक परिदृश्य और विशेषकर भारत पर नकारात्मक असर पड़ेगा। इससे देश की विकास दर भी असर पड़ सकता है।

पूरी दुनिया में इस समय हरित ऊर्जा की बात की जा रही है और तेल को एक खलनायक की तरह पेश किया जा रहा है। भविष्य में इसके प्रति नकारात्मक सोच बढ़ने से होने वाले नुकसान की आशंका में कंपनियां इस पर निवेश भी नहीं कर रही हैं। मांग-आपूर्ति में संकट बढ़ने की आशंका से बाजार में घबराहट की स्थिति बन रही है। इस समय तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का मुनाफाखोरी के साथ-साथ यह भी बड़ा कारण है

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