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वित्त मंत्रालय ने जल्द ही छूट मुक्त नई कर व्यवस्था की समीक्षा करने का प्रस्ताव किया है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि समीक्षा इसलिए जरूरी है ताकि व्यक्तिगत आय करदाताओं के लिए इसे और आकर्षक बनाया जा सके। सूत्रों का कहना है कि सरकार का लक्ष्य एक ऐसी प्रणाली स्थापित करना है जहां कोई छूट नहीं है। सरकार छूट और कटौती के साथ जटिल पुरानी कर व्यवस्था को समाप्त करना चाहती है।
गौरतलब है कि केंद्रीय बजट 2020-21 में एक नई कर व्यवस्था पेश की गई थी। इसमें करदाताओं को विभिन्न कटौतियों और छूटों वाली पुरानी व्यवस्था और छूट और कटौती के बिना कम कर दरों की पेशकश करने वाली नई कर व्यवस्था के बीच चयन करने का विकल्प दिया गया था। सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम के पीछे का उद्देश्य व्यक्तिगत करदाताओं को महत्वपूर्ण राहत प्रदान करना और आयकर कानून को सरल बनाना था।
नई कर व्यवस्था के अनुभव के बारे में सरकारी सूत्रों ने कहा कि इस बात के साफ संकेत मिल रहे हैं कि जिन लोगों ने अपना घर और शिक्षा ऋण समाप्त कर लिया है, वे नई कर व्यवस्था में स्थानांतरित होने के इच्छुक हैं। दरअसल ऐसे लोगों के पास दावा करने के लिए कोई छूट नहीं है। नई व्यवस्था में करों को कम करने से नई कर व्यवस्था और अधिक आकर्षक हो जाएगी।
कॉरपोरेट करदाताओं के लिए एक समान कर व्यवस्था सितंबर 2019 में दरों को काफी कम करके और छूट को हटाकर पेश की गई थी। सरकार ने तत्कालीन मौजूदा कंपनियों के लिए आधार कॉर्पोरेट कर को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत करने की घोषणा की थी। 1 फरवरी, 2020 को घोषित व्यक्तिगत करदाताओं के लिए नई कर व्यवस्था के तहत 2.5 लाख रुपये तक की वार्षिक आय वाले लोग कोई कर नहीं देते हैं। 2.5 लाख से 5 लाख रुपये के बीच की आय के लिए कर की दर 5 प्रतिशत है।
इसके अलावा, 5 लाख रुपये से 7.5 लाख रुपये की आय वाले लोगों को 10 प्रतिशत की कम कर दर का भुगतान करना होगा। इसी तरह 7.5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच 15 फीसदी, 10 लाख रुपये से 12.5 लाख तक 20 फीसदी के बीच और 12.5 लाख रुपये से 15 लाख तक 25 प्रतिशत के बीच और 15 लाख रुपये से अधिक पर 30 प्रतिशत की दर से भुगतान करना होगा।
Kajal Dubey
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