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पांच एजेंसियों को कर सकता है ब्लैकलिस्ट
भारत से जैविक उत्पाद के निर्यात को प्रमाणित करने वाली पांच एजेंसियों पर बैन लग सकता है. प्रमाणन एजेंसियों के खिलाफ यह कार्रवाई यूरोपीय आयोग यूरोपीय आयोग (ईसी) द्वारा की जा सकती है. उन्हें ब्लैक लिस्ट किया जा सकता है. इसके पीछे की वजह यह बतायी जा रही है कि भारतीय निर्यातकों ने यूरोपियन काउंसिल के मानदंडो को पूरा नहीं किया है. भारत से होने वाले जैविक निर्यात में सीसमी (तिल/जिंजली) में एथिलीन ऑक्साइड की तय मानक से ज्यादा पाया गया है. बता दें कि भारत से जैविक उत्पादों को प्रमाणित करने के लिए उन्हें दी गई मान्यता वापस लेने के बाद यूरोपीय संघ ने हाल के महीनों में जैविक खेती सूचना प्रणाली (ओएफआईसी) में कम से कम 90 अधिसूचनाएं जारी की हैं. जुलाई की शुरुआत में जैविक उत्पादन पर यूरोपीय आयोग की समिति की बैठक के दौरान निर्णय लिया गया था।
निर्यात पर नहीं होगा असर
पिछले सप्ताह यूरोपीय आयोग द्वारा जारी ड्राफ्ट रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से चार प्रमाणन एजेंसियां यूरोप में और एक संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित हैं. दिल्ली स्थित व्यापार विश्लेषक एस चंद्रशेखरन के अनुसार , विकास का भारत के जैविक उत्पाद निर्यात पर असर पड़ने की संभावना नहीं है क्योंकि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों मिलाकर कुल 28 अन्य एजेंसियां हैं, जो देश से जैविक उत्पाद निर्यात को प्रमाणित कर सकती हैं. उन्होंने कहा कि यूरोपीय आयोग के प्रारंभिक विचारों का प्रतिनिधित्व करने वाला ड्राफ्ट, नवंबर के पहले सप्ताह में स्वचालित रूप से प्रभावी हो जाएगा और दिसंबर 2026 तक वैध होगा.
यह खबर उन रिपोर्टों के बाद आई है कि यूरोपीय संघ ने भारतीय मसाला निर्यात में ईटीओ अवशेष का हाई कंसेंट्रेशन पाया गया है. इसे लेकर यूरोपीय आयोग ड्राफ्ट में भारत के संबंध कहा गया है कि अक्टूबर 2020 के बाद से, एथिलीन ऑक्साइड (ईटीओ) से दूषित हजारों टन कथित रूप से जैविक तिल के कुल हजारों टन की खेप उस तीसरे देश से आयात की गई है, जिसकी मॉनिटरिंग भारतीय एंजेसिंया करती है.
ग्राहकों को गुमराह करने का मतलब सेहत से खिलवाड़ करना है
यूरोपीय संघ ईटीओ को मनुष्यों के लिए कार्सिनोजेनिक मानता है साथ ही वह यह सुनिश्चित करने के लिए आयात की बारीकी से निगरानी भी करता है कि ईटीओ अवशेष मानक स्तर से अधिक नहीं हो. यूरोपीय आयोग ने कहा कि भारतीय तिल के आयात में ईटीओ अधिकतम स्तर काफी अधिक था. मसौदे में कहा गया है कि उत्पादों में हानिकारक तत्वों की अधिक मौजूदगी के बाद भी इसे जैविक बताकर ग्राहकों को गुमराह किया जा रहा है. जो कि लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ है.
मसौदे में विशेष रूप से कहा गया है कि प्रमाणित करने वाली एजेंसियों को भारत के सक्षम प्राधिकारी – कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) द्वारा मान्यता प्राप्त नियंत्रण निकायों की सूची में शामिल नहीं किया जाना चाहिए. जिन एजेंसियों को ब्लैकलिस्ट करने की तैयारी है उनका नाम सीयू इंस्पेक्शन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, इकोसर्ट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, इंडियन ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन एजेंसी (इंडोकार्ट), लैकॉन क्वालिटी सर्टिफिकेशन प्राइवेट लिमिटेड – ऑल और वनसर्ट इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड है.
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