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पेट्रोल की लगभग रोज बढ़ रही कीमतों के कारण उपभोक्ताओं को पसीना आ रहा है, लेकिन एथनॉल उत्पादकों में उत्साह है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | पेट्रोल की लगभग रोज बढ़ रही कीमतों के कारण उपभोक्ताओं को पसीना आ रहा है, लेकिन एथनॉल उत्पादकों में उत्साह है। एथनॉल उत्पादकों ने पेट्रोल में एथनॉल मात्रा को मौजूदा 10 फीसद से बढ़ाकर 12-15 फीसद तक करने की जरूरत पर जोर दिया गया है और खुद का उत्पादन बढ़ाने की मंजूरी भी मांगी है। अब जबकि यह माना जा रहा है कि पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत में बढ़ोतरी फिलहाल जारी रहेगी और सरकार भी आयात बिल घटाने पर जोर दे रही है, तो तो इसे राहत का एक तरीका भी माना जा रहा है। यह और बात है कि तेल कंपनियों के ढुलमुल रवैए के चलते चालू सत्र में आवंटित एथनॉल के उपयोग पर ही संदेह जताया जा रहा है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने इस बारे में सरकार का ध्यान ऑटो सेक्टर की तरफ भी खींचा है, जिसने पेट्रोल में 12-15 फीसद एथनॉल मिश्रण के मानक तैयार करने के प्रस्ताव का विरोध किया है। यह तब है जब 20 फीसद मिश्रण को लेकर भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) ने पहले ही मानक तैयार कर लिया है। इसके बावजूद 12-15 फीसद के मानक बनाने के प्रस्ताव को लेकर विरोध पर आश्चर्य जताया गया है।
इस्मा के पत्र में स्पष्ट किया गया है कि जिन राज्यों में पेट्रोल में 9-10 फीसद एथनॉल का मिश्रण किया जा रहा है, कम से कम वहां तो इसे बढ़ाकर 15 फीसद तक किया जा सकता है। इस बारे में इंडियन आयल कॉरपोरेशन (आइओसी) रिसर्च इंस्टीट्यूट के अध्ययन का हवाला देकर इस्मा कहा है कि 13 फीसद तक एथनॉल मिश्रण की सूरत में भी वाहनों के इंजनों में किसी बदलाव की जरूरत नहीं पड़ेगी।
दरअसल, वर्ष 2018 की एथनॉल पालिसी के तहत वर्ष 2030 तक पेट्रोल में 20 फीसद तक एथनॉल मिलाने का प्रावधान किया गया था। लेकिन अब यह लक्ष्य हासिल करने की अवधि घटाकर वर्ष 2025 कर दी गई है। पूर्व निर्धारित योजना के तहत पेट्रोल में 10 फीसद एथनॉल मिश्रण का लक्ष्य वर्ष 2022 तक प्राप्त करना था। लेकिन इस लक्ष्य को पिछले वर्ष ही हासिल कर लिया गया है। सरकार के वित्तीय सहयोग से शुगर इंडस्ट्री ने एथनॉल उत्पादन की क्षमता में जबरदस्त वृद्धि कर ली है। एथनॉल का उचित मूल्य भी निर्धारित होने लगा है।
आमतौर पर औसतन 10 फीसद एथनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है, जिसे चरणबद्ध तरीके से बढ़ाने की जरूरत है।इस्मा के डायरेक्टर जनरल अविनाश वर्मा का कहना है कि 'ईंधन जलाकर ईधन बचाने' का क्या औचित्य है। जिन राज्यों में एथनॉल मिश्रण का स्तर 10 फीसद हो चुका है, वहां इसे तत्काल बढ़ाने की जरूरत है। इनमें उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र व कर्नाटक प्रमुख हैं।
पूर्वोत्तर भारत, राजस्थान के सुदूर क्षेत्रों, ओडिशा, झारखंड, बिहार, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में एथनॉल पहुंचाना उत्पादकों के लिए थोड़ा मुश्किल है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि एथनॉल की ढुलाई पर होने वाला खर्च और उसे वहन करने पर अभी स्पष्टता नहीं है। आरोप है कि तेल कंपनियां चालू सत्र के लिए आवंटित 325 करोड़ लीटर एथनॉल उठाने में ढीला रवैया अपना रही हैं। वे ऐसे दूर-दराज के इलाकों में एथनॉल पहुंचाने की मांग करती हैं जो खर्चीला है।
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